Koshi River
  • होम
  • जानें
  • रिसर्च
  • संपर्क

कोसी नदी अपडेट - विवाह लग्न का अन्तिम दिन और बिहार की 1965 की बाढ़

  • By
  • Dr Dinesh kumar Mishra
  • May-30-2023

विवाह लग्न का अन्तिम दिन और बिहार की 1965 की बाढ़


बिहार के दरभंगा जिले के मधुबनी सब-डिविज़न में जुलाई, 1965 के पहले पखवाड़े में भीषण बाढ़ आयी थी। इस पर विधानसभा में विधायक सूरज नारायण सिंह 21 जुलाई, 1965 को एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आये जिसमें कहा गया था कि कमला-बलान नदी का तटबन्ध का पूर्वी और पश्चिमी तटबन्ध 18 जगहों में बाढ़ के पानी के कारण टूट गया जिससे दर दरभंगा जिले के पूर्वी हिस्सों को अपार धन की क्षति हुई है। उस पर विचार के लिये मैं सदन का ध्यान आकर्षित करता हूं।

उन्होनें यह भी कहा कि इस महीने की 7-8 तारीख को मिथिला में लग्न की अन्तिम तिथि थी लेकिन बाढ़ की वजह से नव-विवाहित वर-वधू रेलवे स्टेशन पर खड़े रह गये और अपने गंतव्य स्थान पर नहीं पहुंच सके। वहां पर एक अजीब संकट उपस्थित हो गया था क्योंकि यातायात बन्द हो गया था। वहां के कमिश्नर ने कबूल किया है कि वहां पर इस साल बाढ़ अचानक आ गयी थी और इसलिये समय पर नावों का समुचित प्रबन्ध नहीं हो सका था। उस समय वहां नावों की बड़ी कमी हो गयी।

इस पर अध्यक्ष महोदय की स्वीकारोक्ति थी पर उनका यह भी कहना था कि नावें बाद में सेना द्वारा भिजवा दी गयी थीं। सूरज बाबू का फिर भी कहना था कि झंझारपुर थाने में अन्न का जो वितरण हुआ वह ऐसा था कि जानवर को भी खिलाया जाये तो हैजा हो जायेगा, इन्सान की नाक के सामने वह अन्न लाया भी नहीं जा सकता था। रिलीफ के नाम पर ऐसा अन्न बांटा गया।

9 तारीख को बाढ़ आयी और 10 तारीख को वहां एक मुट्ठी अन्न भी रिलीफ के रूप में नहीं मिला। महिया और मछैटा गांव में एक पाव भी चना नहीं गया था। 14 तारीख तक रिलीफ की कोई व्यवस्था नहीं हो सकी थी, मिट्टी का तेल नहीं मिला। सरकारी ऑफिसरों की असावधानी और भ्रष्टाचार के चलते दरभंगा जिले के लोग तबाह हैं।

1965 की इस बाढ़ के बारे में हमारी चर्चा दरभंगा के मधुबनी सब-डिवीजन (अब जिला) के मंगरौनी गाँव के 68 वर्षीय श्री बिनयानन्द झा से हुई। उनका कहना था कि,

8 जुलाई, 1965 को उनके बड़े चचेरे भाई नीलेंद्र मणि झा की शादी झंझारपुर प्रखंड के कछुआ गाँव में तय हुई थी। उस समय बरसात का मौसम शुरू हो चुका था और 7 जुलाई को हम लोग बारात लेकर अपने गाँव मंगरौनी से चल कर मधुबनी रेलवे स्टेशन आये। वहाँ से सकरी जाने के लिये रेलगाड़ी मिलती थी। 15-20 बाराती रहे होंगे जिसमें हम लोग कुछ बच्चे भी थे। हमारे लिये यह यात्रा बहुत ही कौतूहल पूर्ण थी। सकरी में दरभंगा-निर्मली गाड़ी मिलती थी जिसमें हमें तमुरिया जाना था और वहां से कछुआ गाँव, जहाँ बारात की शक्ल में हमको जाना था, वह बहुत दूर नहीं था। स्टेशन से तो बाराती पैदल ही वहाँ पहुँच गये। लड़की पक्ष के लोग स्वागत में जरूर रेलवे स्टेशन पर आ गये थे। भइया के ससुर जी का अच्छा खासा मकान था और बरसात को ध्यान में रखते हुए उन लोगों ने घर के बरामदे में बारातियों के रहने की व्यवस्था कर दी थी।

यहाँ तक की यात्रा में बादल भले ही घिरे रहे हों लेकिन बारिश नहीं हुई थी पर रात में विवाह प्रक्रिया शुरू होने के पहले से ही जोरों से पानी बरसना शुरू हुआ और यह क्रम विवाह सम्पन्न हो जाने के बाद भी सुबह तीन बजे तक चला होगा।


हमारे यहाँ रिवाज है कि विवाह के बाद बारात लौट जाती है पर दूल्हा कुछ समय के लिये ससुराल में ही रह जाता है। विवाह सम्पन्न हो जाने के बाद हम लोगों का कोई काम बचा नहीं था और तय कार्यक्रम के अनुसार हम लोग तमुरिया स्टेशन लौट आये और वहीं से वापसी यात्रा के लिये रेलगाड़ी पकड़ ली। यह 8 जुलाई की सुबह की बात है।

हमारी ट्रेन तमुरिया से तो अपने समय से निकली लेकिन जब वह झंझारपुर स्टेशन पहुँची तो उसे आगे बढ़ने से रोक दिया गया क्योंकि स्टेशन के बगल से ही कमला नदी बहती थी, जिसके पुल को पार करके आगे की यात्रा करनी थी। झंझारपुर रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर, उनके सहायक तथा पुलिस के अधिकारी वहाँ ऊहापोह की स्थिति में थे कि ट्रेन को आगे जाने दिया जाये या झंझारपुर में ही रोक दिया जाये क्योंकि सामने कमला-बलान नदी का पानी पुल पर रेल लाइन को छूने लगा था पर रेल लाइन अभी डूबी नहीं थी। विभाग सुनिश्चित कर लेना चाहता था कि रेलगाड़ी पुल पर से तभी आगे जायेगी जब यह तय हो जायेगा कि उसे पुल पर से गुजरने में कोई खतरा नहीं है। इसमें रेलवे इंजीनियरों की राय भी जरूर ली गयी होगी लेकिन हम लोग तो बच्चे थे। हमको क्या पता था कि गाड़ी क्यों रुकी हुई है? सब कुछ अनिश्चित था और गाड़ी कुछ घंटों तक स्टेशन पर खड़ी रही पर बाद में उसे आगे जाने की अनुमति मिल गयी।

गाड़ी चली तो तो कमला-बलान नदी का पुल तो स्टेशन के बगल में ही था। उन दिनों बहुत से पुलों में रेल लाइन के किनारे रेलिंग भी नहीं होती थी। इसके अलावा रेल के डिब्बे में खिड़कियों में ग्रिल भी नहीं होता था तो खिड़कियों से बाहर से सिर निकाल कर झाँकने की सुविधा थी। यह हम बच्चों के लिये बड़े कौतूहल का मौका था और हम लोग उन खिड़कियों के पास जाकर बाहर सिर निकालने की कोशिश करते थे और बड़े लोग हमें बाहर झाँकने से रोकते थे। यह हम बच्चों को अच्छा तो नहीं लगता था पर बड़े लोगों की अपनी मजबूरी थी कि वह हमें अपने शासन में रखें। जो भी सिर बाहर निकालता था उसे कोई न कोई खींच कर वापस अपनी जगह बैठा देता था।

पुल पर से ट्रेन के गुजरते समय बड़े लोग भी जोर-जोर से कोई हनुमान चालीसा, कोई दुर्गा पाठ, कोई हर-हर महादेव, कोई कमला माई को स्मरण करते हुए नारे लगाते थे। सब कभी अकेले और कभी समूह में जोर-जोर से आवाज करते थे और बच्चे सिर्फ ताकत भर "जय" बोल कर उनका साथ देते थे। ऐसा सिर्फ हमारे डिब्बे में ही नहीं लगभग पूरी ट्रेन में हो रहा था। हम लोगों को नदी के पानी को रेल लाइन से टकराते हुए देखने में मजा आ रहा था पर चाचा-मामा-फूफा लोग डाँटते थे कि उधर मत देखो, गिर जाओगे, डूब जाओगे, मर जाओगे, आदि-आदि। जैसे-तैसे गाड़ी सकरी पहुँची पर रास्ते में कहीं बारिश नहीं मिली। सकरी स्टेशन से ट्रेन बदल कर हम लोग मधुबनी आये और वहाँ से अपने घर।


बाद में पता लगा कि झंझारपुर में नदी को पार करने वाली हमारी ट्रेन आखिरी ट्रेन थी। उसके बाद बहुत दिनों तक रेलगाड़ी का चलना बन्द रहा था। ऐसा या तो सुरक्षा की दृष्टि से किया गया होगा या रेल लाइन ही पानी में डूब गयी होगी। गाड़ी चलाने के पहले पुल की भी मरम्मत करने में समय लगा ही होगा इसीलिये लाइन चालू नहीं हुई होगी।

क्रमशः

श्री बिनयानन्द झा

हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

More

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, मुजफ्फरपुर में 1962 में घटी एक हृदय विदारक नौका दुर्घटना

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, मुजफ्फरपुर में 1962 में घटी एक हृदय विदारक नौका दुर्घटना

बिहार -बाढ़-सुखाड़-अकालबिहार के उपर्युक्त विषय पर लिखते समय मुझे मुजफ्फरपुर में 1962 में घटी एक हृदय विदारक नौका दुर्घटना की जानकारी मिली, ज...
कोसी नदी अपडेट - पटना राइस से जुड़ी बेहद अहम जानकारी, जो बासमती को देता था टक्कर

कोसी नदी अपडेट - पटना राइस से जुड़ी बेहद अहम जानकारी, जो बासमती को देता था टक्कर

बासमती नहीं, पटना राइसकहते हैं कि बिहार के नालन्दा जिले के हिलसा इलाके से पिछली शताब्दी में पटना राइस के नाम से के चावल की किस्म लन्दन निर्य...
कोसी नदी अपडेट - नहरों और नदियों के तटबन्धों के टूटने का वृतांत 1976, बड़हिया (अन्तिम किस्त)

कोसी नदी अपडेट - नहरों और नदियों के तटबन्धों के टूटने का वृतांत 1976, बड़हिया (अन्तिम किस्त)

बड़हिया के श्री कृष्ण मोहन सिंह से हुई मेरी बातचीतउस समय यहां पक्के मकान तो बहुत कम थे। मिट्टी के गारे और पकाई गयी ईंटों के मकान जरूर थे। मि...
कोसी नदी अपडेट - बिहार में नहरों और नदियों के तटबन्धों का टूटना, 1968 में कोसी के दाहिने तटबंध के टूटने की कहानी

कोसी नदी अपडेट - बिहार में नहरों और नदियों के तटबन्धों का टूटना, 1968 में कोसी के दाहिने तटबंध के टूटने की कहानी

नहरों और नदियों के तटबन्धों का टूटनाकल मेरे एक मित्र ने मुझे खबर भेजी है कि गंडक नहर का बांध टूट गया और आधिकारिक तौर पर यह बताया गया के चूहो...
कोसी नदी अपडेट - नहरों और नदियों के तटबन्धों के टूटने का वृतांत 1976, बड़हिया

कोसी नदी अपडेट - नहरों और नदियों के तटबन्धों के टूटने का वृतांत 1976, बड़हिया

बड़हिया की सितम्बर,1976 की यादगार बाढ़1976 में सितम्बर महीने के तीसरे सप्ताह में पटना, मुंगेर (वर्तमान बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय, शेख...
कोसी नदी अपडेट - मंगरौनी और कछुआ गांव के आगे दरभंगा जिले के तारडीह प्रखंड के उजान गांव की कहानी

कोसी नदी अपडेट - मंगरौनी और कछुआ गांव के आगे दरभंगा जिले के तारडीह प्रखंड के उजान गांव की कहानी

मंगरौनी और कछुआ गांव के आगे दरभंगा जिले के तारडीह प्रखंड के उजान गांव की कहानीलेखक ने 1965 की कमला-बलान के पुल के दूसरी तरफ की बाढ़ के बारे ...
कोसी नदी अपडेट - विवाह लग्न का अन्तिम दिन और बिहार की 1965 की बाढ़

कोसी नदी अपडेट - विवाह लग्न का अन्तिम दिन और बिहार की 1965 की बाढ़

विवाह लग्न का अन्तिम दिन और बिहार की 1965 की बाढ़बिहार के दरभंगा जिले के मधुबनी सब-डिविज़न में जुलाई, 1965 के पहले पखवाड़े में भीषण बाढ़ आयी थी...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री कुमार शचीन्द्र सिंह से हुई चर्चा के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री कुमार शचीन्द्र सिंह से हुई चर्चा के अंश

बिहार -बाढ़-सुखाड़ -अकालबीरपुर-सुपौल के 91 वर्षीय श्री कुमार शचीन्द्र सिंह से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंशहमारा मूल गाँव आज के समस्तीपुर जिले ...
कोसी नदी अपडेट - 1960 का बिहार का सुखाड़ और उसके दुष्प्रभाव

कोसी नदी अपडेट - 1960 का बिहार का सुखाड़ और उसके दुष्प्रभाव

एक सुखाड़ यह भी - 1960पूर्णिया के कटिहार सब-डिवीजन में मई महीने में लगभग तीन चौथाई कुएं सूख चुके थे और अब उनमें से पानी के बदले कीचड़ ही निक...
कोसी नदी अपडेट - 1957 में बिहार में पानी के लिए खूनी संघर्ष

कोसी नदी अपडेट - 1957 में बिहार में पानी के लिए खूनी संघर्ष

पानी के लिये ख़ूनी संघर्ष- बिहार 19571957 में हथिया नक्षत्र का पानी न बरसने से शाहबाद जिले में फसल को बचाने के क्रम में पानी के उपयोग को लेक...
कोसी नदी अपडेट - स्व. सूरज नारायण सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि, बिहार विधानसभा में उनका ध्यानाकर्षण प्रस्ताव

कोसी नदी अपडेट - स्व. सूरज नारायण सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि, बिहार विधानसभा में उनका ध्यानाकर्षण प्रस्ताव

श्री सूरज नारायण सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलिबिहार विधानसभा में सूरज बाबू, 1965गत आठ-नौ जुलाई को कमला बलान तटबन्ध का पूर्वी-पश्चिमी बांध 18...
कोसी नदी अपडेट - जल जमाव से त्रस्त शाहाबाद जिले के बरुणा गांव की कहानी

कोसी नदी अपडेट - जल जमाव से त्रस्त शाहाबाद जिले के बरुणा गांव की कहानी

जल-जमाव से त्रस्त गांव की कहानी 1956 सितम्बर महीने में बिहार में बहुत भीषण वर्षा हुई थी, जिससे पूरे प्रान्त में काफी क्षति हुई थी। इस साल इस...
कोसी नदी अपडेट - अलविदा प्रो. शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, विनम्र श्रद्धांजलि

कोसी नदी अपडेट - अलविदा प्रो. शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, विनम्र श्रद्धांजलि

आज समाचार मिला कि प्रो. श्रीवास्तव नहीं रहे। मेरी उनसे मुलाकात गोष्ठियों में हुआ करती थी पर कुछ कोरोना काल बाध्यताएं और कुछ उनकी ढलती उम्र न...
कोसी नदी अपडेट - वर्ष 1976 की बेगूसराय की बाढ़, पद्मश्री श्रीमती उषाकिरण खान जी से हुई चर्चा के अंश

कोसी नदी अपडेट - वर्ष 1976 की बेगूसराय की बाढ़, पद्मश्री श्रीमती उषाकिरण खान जी से हुई चर्चा के अंश

बेगूसराय की बाढ़ - 1976इस बाढ़ के बारे में मुझे प्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री श्रीमती उषाकिरण खान ने बताया। उनका कहना था कि, सन् 1976 में मैं...
कोसी नदी अपडेट - बाढ़ पूर्व चेतावनी का सच, विधानसभा में विधायक लहटन चौधरी का भाषण (भाग - 2)

कोसी नदी अपडेट - बाढ़ पूर्व चेतावनी का सच, विधानसभा में विधायक लहटन चौधरी का भाषण (भाग - 2)

बाढ़ पूर्व चेतावनी का सच - भाग 2मेरा एक बार आपदा प्रबन्धन की एक किसी मीटिंग में दिल्ली जाना हुआ जिसमें विषय से संबंधित बहुत दिग्गज लोग इकट्ठ...
कोसी नदी अपडेट - बाढ़ पूर्व चेतावनी का सच, विधानसभा में विधायक लहटन चौधरी का भाषण (भाग - 1)

कोसी नदी अपडेट - बाढ़ पूर्व चेतावनी का सच, विधानसभा में विधायक लहटन चौधरी का भाषण (भाग - 1)

बाढ़ पूर्व चेतावनी का सच - भाग 1आजादी के बाद बिहार में सबसे बड़ी बाढ़ 1954 में आयी थी और उसको लेकर के विधानसभा में काफी बहस हुई थी। इस बहस म...
कोसी नदी अपडेट - बाढ़ से बचाव की अग्रिम चेतावनी

कोसी नदी अपडेट - बाढ़ से बचाव की अग्रिम चेतावनी

कल हमारे किसी मित्र ने एक वीडियो भेजा था, जिसमें बहुत लोगों के साथ हमारे बिहार के जल संसाधन मंत्री का भी बाढ़ नियंत्रण पर महत्वपूर्ण वक्तव्य...
कोसी नदी अपडेट -  1956 में बिहार का सुखाड़ और सत्यनारायण व्रत कथा

कोसी नदी अपडेट - 1956 में बिहार का सुखाड़ और सत्यनारायण व्रत कथा

सुखाड़ और सत्यनारायण व्रत कथा1956 में बिहार में कुछ इलाकों में सूखे के हालात बन गये थे लेकिन यह सर्वव्याप्त नहीं था। यहां तक कि दक्षिण बिहार...
कोसी नदी अपडेट -  हो सकता है गंगा जी ने आपकी प्रार्थना सुन ली हो

कोसी नदी अपडेट - हो सकता है गंगा जी ने आपकी प्रार्थना सुन ली हो

हो सकता है गंगा जी ने आपकी प्रार्थना सुन ली हो।1956 की बात है। अगस्त का अन्तिम सप्ताह और सितम्बर महीने के पहले सप्ताह का समय था‌। मुंगेर जिल...
कोसी नदी अपडेट - बिहार की 1954 की बाढ़, विधानसभा में नीतिश्वर प्रसाद सिंह का वक्तव्य

कोसी नदी अपडेट - बिहार की 1954 की बाढ़, विधानसभा में नीतिश्वर प्रसाद सिंह का वक्तव्य

बिहार की 1954 की बाढ़ हमेशा से चर्चा में रही है। इसके दुष्प्रभाव पर विधानसभा में उस साल सितम्बर महीने में विधानसभा में बहस चल रही थी और वक्त...
कोसी नदी अपडेट - 1976 की पटना की बाढ़, ग्राम मसाढ़ी के श्री अलख देव सिंह से हुई चर्चा के अंश

कोसी नदी अपडेट - 1976 की पटना की बाढ़, ग्राम मसाढ़ी के श्री अलख देव सिंह से हुई चर्चा के अंश

1976 की पटना की बाढ़-ग्राम मसाढ़ी, प्रखंड फतुहा, जिला पटना के श्री अलख देव सिंह से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश।वह कहते हैं, 1976 की बाढ़ में...
कोसी नदी अपडेट - जानें क्यों है देश में जल-निकासी आयोग के गठन की आवश्यकता

कोसी नदी अपडेट - जानें क्यों है देश में जल-निकासी आयोग के गठन की आवश्यकता

गुजराती में एक कहावत है, "छतरी पलटी गयी, कागड़ी थई गई"। जिसका अर्थ होता है कि बरसात में आंधी-पानी से अगर छतरी उलट जाये तो उसमें और कौवे में...
कोसी नदी अपडेट - 50 साल पहले का आर्यावर्त पटना का सम्पादकीय, कुछ भी तो नहीं बदला

कोसी नदी अपडेट - 50 साल पहले का आर्यावर्त पटना का सम्पादकीय, कुछ भी तो नहीं बदला

आर्यावर्त पटना अपने सम्पादकीय में 'बाढ़ और सूखा-दोनों का प्रकोप' शीर्षक से लिखता है, बिहार इस समय बाढ़ और सूखा दोनों का शिकार बन रहा है। कोस...
कोसी नदी अपडेट - 1972 का सुखाड़ और बिहार विधानसभा में श्री गजेन्द्र प्रसाद 'हिमांशु' का भाषण

कोसी नदी अपडेट - 1972 का सुखाड़ और बिहार विधानसभा में श्री गजेन्द्र प्रसाद 'हिमांशु' का भाषण

1972 का सुखाड़ और बिहार विधानसभा में श्री गजेन्द्र प्रसाद 'हिमांशु' का भाषणजैसी स्थिति वर्षा और कृषि को लेकर इस साल हो रही है, वैसी ही स्थित...
कोसी नदी अपडेट - कोसी पीड़ित विकास प्राधिकरण, अगर आज गुमशुदा है तो यह 17 साल पहले भी गुमशुदा ही था

कोसी नदी अपडेट - कोसी पीड़ित विकास प्राधिकरण, अगर आज गुमशुदा है तो यह 17 साल पहले भी गुमशुदा ही था

कोसी पीड़ित विकास प्राधिकारएक बार मैंने भी इसे (KADA- कोशी विकास प्राधिकरण कार्यालय) खोजा था, 2005 में जब मैं अपनी कोसी वाली किताब समाप्त कर...
कोसी नदी अपडेट - पटना में सोन और गंगा की बाढ़ (1975), जब छह दिनों तक अखबार तक नहीं छप सके

कोसी नदी अपडेट - पटना में सोन और गंगा की बाढ़ (1975), जब छह दिनों तक अखबार तक नहीं छप सके

पटना में सोन और गंगा की बाढ़ के पानी के कारण 26 अगस्त से लेकर 30 अगस्त,1975 तक अख़बार भी नहीं छपे थे...25 अगस्त के समाचार पत्र के प्रकाशन के...
कोसी नदी अपडेट - कुसहा त्रासदी की पन्द्रहवीं वर्षगांठ, टूटते तटबंधों के बीच पीड़ित लोग

कोसी नदी अपडेट - कुसहा त्रासदी की पन्द्रहवीं वर्षगांठ, टूटते तटबंधों के बीच पीड़ित लोग

कुसहा त्रासदी की पन्द्रहवीं वर्षगांठ, 18 अगस्त, 2022कोसी के टूटते तटबंध1. डलवा – नेपाल 21 अगस्त, 19632. जमालपुर – दरभंगा 5 अक्टूबर, 19683. भ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार 1973 के सूखे पर विधानसभा की समीक्षात्मक बहस में छपरा से विधायक सभापति सिंह का भाषण

कोसी नदी अपडेट - बिहार 1973 के सूखे पर विधानसभा की समीक्षात्मक बहस में छपरा से विधायक सभापति सिंह का भाषण

(बिहार-बा़ढ़-सूखा और अकाल)30 जुलाई, 1973 के दिन बिहार विधानसभा में सुखाड़ पर बहस चल रही थी। वक्ता थे छपरा से विधायक सभापति सिंह। उन्होनें सद...
कोसी नदी अपडेट - 1971 में काबर झील का छलकना और बूढ़ी गंडक के बांध का टूटना, बिहार के पूर्व मंत्री श्री राम जीवन सिंह से हुई बातचीत के कुछ अंश

कोसी नदी अपडेट - 1971 में काबर झील का छलकना और बूढ़ी गंडक के बांध का टूटना, बिहार के पूर्व मंत्री श्री राम जीवन सिंह से हुई बातचीत के कुछ अंश

1971 में काबर झील का छलकना और बूढ़ी गंडक के बांध का टूटना, बिहार के पूर्व मंत्री श्री राम जीवन सिंह से मेरी बातचीत के कुछ अंश।उनका कहना था क...
कोसी नदी अपडेट - 1957 में बिहार के अघोषित अकाल पर स्व श्री भोलानाथ 'आलोक' जी द्वारा दी गई जानकारी

कोसी नदी अपडेट - 1957 में बिहार के अघोषित अकाल पर स्व श्री भोलानाथ 'आलोक' जी द्वारा दी गई जानकारी

(अन्तिम प्रणाम स्व. श्री भोला नाथ 'आलोक' जी)भोलानाथ जी से मैं कभी मिला नहीं। फोन पर उनसे गिरींद्र नाथ झा और पंकज चौधरी के सौजन्य से बात जरूर...
कोसी नदी अपडेट - बिहार 1973 के सूखे पर विधानसभा की समीक्षात्मक बहस में श्री भोला प्रसाद सिंह का वक्तव्य

कोसी नदी अपडेट - बिहार 1973 के सूखे पर विधानसभा की समीक्षात्मक बहस में श्री भोला प्रसाद सिंह का वक्तव्य

(बिहार-बाढ़-सूखा-अकाल)1973 में बिहार विधानसभा में सुखाड़ पर बहस चल रही थी और वक्ता थे भोला प्रसाद सिंह। उन्होंने अपने वक्तव्य शुरू करते ही ए...
कोसी नदी अपडेट - बिहार 1973 के सूखे पर विधानसभा की बहस में पूर्व मंत्री कपिल देव सिंह का वक्तव्य

कोसी नदी अपडेट - बिहार 1973 के सूखे पर विधानसभा की बहस में पूर्व मंत्री कपिल देव सिंह का वक्तव्य

बिहार में 1973 में अकाल जैसी परिस्थिति पैदा हो गयी थी। विधानसभा में इस पर बहस हुई जिसमें पूर्व मंत्री कपिल देव सिंह के भाषण से बहस की शुरुआत...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल 1970, श्री मुहम्मद सलीम से हुई चर्चा के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल 1970, श्री मुहम्मद सलीम से हुई चर्चा के अंश

बिहार-बाढ-सूखा-अकाल-19701970 में गंडक नदी का उत्तरी तटबन्ध चंपारण जिले के नौतन प्रखंड में 25 अगस्त (मंगलवार) के दिन टूट गया था और उसकी वजह स...
कोसी नदी अपडेट - बिहार 1973 के सूखे पर विधानसभा की समीक्षात्मक बहस में श्री बैरागी उरांव का भाषण

कोसी नदी अपडेट - बिहार 1973 के सूखे पर विधानसभा की समीक्षात्मक बहस में श्री बैरागी उरांव का भाषण

1973 में बिहार (तब अविभाजित) में जबरदस्त सूखा पड़ा था। अगस्त महीने में विधानसभा में सूखे की समीक्षात्मक बहस चल रही थी। बैरागी उरांव अपना भाष...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल 1968, श्री सुधीर नाथ मिश्र से हुई चर्चा के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल 1968, श्री सुधीर नाथ मिश्र से हुई चर्चा के अंश

बिहार-बाढ़-सूखा-अकाल-1968 1968 में कोसी नदी में भयंकर बाढ़ आयी थी और उसी साल नदी में 9.13 लाख क्यूसेक का प्रवाह आया था और यह रिकॉर्ड अभी तक ...
कोसी नदी अपडेट - अस्थिर सरकार-राजनीतिक महत्वाकांक्षा, बाढ़ राहत पर सवाल-राज्य की स्थिति

कोसी नदी अपडेट - अस्थिर सरकार-राजनीतिक महत्वाकांक्षा, बाढ़ राहत पर सवाल-राज्य की स्थिति

बिहार में बाढ़-सूखा-अकाल -1971अस्थिर सरकार-राजनीतिक महत्वाकांक्षा, बाढ़ राहत पर सवाल-राज्य की स्थिति। द इंडियन नेशन - पटना का सम्पादकीय-4अगस...
कोसी नदी अपडेट - 5 जनवरी, 1971 को अंग्रेज़ी दैनिक दी इंडियन नेशन में प्रकाशित लेख "कोसी कैनाल स्कैंडल"

कोसी नदी अपडेट - 5 जनवरी, 1971 को अंग्रेज़ी दैनिक दी इंडियन नेशन में प्रकाशित लेख "कोसी कैनाल स्कैंडल"

बिहार में बाढ़ -सूखा और अकाल का अध्ययन करते हुए मुझे यह संपादक के नाम एक पत्र पढ़ने को मिला, जिसे जानकीनगर, पूर्णिया के किन्ही भीष्म सिंह ने ल...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल 1963, श्री नागेंद्र सिंह से हुई चर्चा के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल 1963, श्री नागेंद्र सिंह से हुई चर्चा के अंश

बिहार-बाढ़-सूखा-अकालग्राम अदौरी, प्रखंड पुरनहिया, जिला सीतामढ़ी के 80 वर्षीय श्री नागेंद्र सिंह से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश।"उनका कहना था ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, 52 वर्षों में क्या बदला, वही सूखा-बाढ़ और वही पश्चिमी कोसी नहर

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, 52 वर्षों में क्या बदला, वही सूखा-बाढ़ और वही पश्चिमी कोसी नहर

बिहार-बाढ़-सूखा-अकाल52 वर्षों में कुछ भी तो नहीं बदला है। वही सूखा, वही बाढ़ और वही पश्चिमी कोसी नहर।आर्यावर्त-पटना अपने 3 मई 1970 के सम्पाद...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, 1954 का सीतामढ़ी का नाव हादसा और नवाब परसौनी की मौत

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, 1954 का सीतामढ़ी का नाव हादसा और नवाब परसौनी की मौत

तीन साल पहले की पोस्ट1954 का सीतामढ़ी का नाव हादसा और नवाब परसौनी की मौतअस्सी वर्ष के गुलाम रसूल जो नवाब परसौनी (सीतामढ़ी) की हवेली के बगल में...
कोसी नदी अपडेट - कोसी पीड़ित विकास प्राधिकार के तीसरे अध्यक्ष स्वर्गीय डॉ. अब्दुल गफ़ूर से हुई बातचीत के कुछ अंश

कोसी नदी अपडेट - कोसी पीड़ित विकास प्राधिकार के तीसरे अध्यक्ष स्वर्गीय डॉ. अब्दुल गफ़ूर से हुई बातचीत के कुछ अंश

कोसी पीड़ित विकास प्राधिकार के तीसरे अध्यक्ष डॉ. अब्दुल गफ़ूर (अब स्वर्गीय) से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश। वह कहते हैं,... मैं पहले तटबन्ध प...
कोसी नदी अपडेट - बिहार की बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष 1966 के महत्वपूर्ण तथ्यों का संकलन

कोसी नदी अपडेट - बिहार की बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष 1966 के महत्वपूर्ण तथ्यों का संकलन

बिहार की बाढ़, सुखाड़ और अकाल का इतिहास लिख रहा हूं। आज 1966 पूरा किया। उसकी एक हल्की सी झांकी यहां शेयर कर रहा हूं। इस साल बाढ़ भी थी और 19...
कोसी नदी अपडेट - 1972 का बिहार अकाल, नवादा निवासी मोहतरमा जैनब बुआ से चर्चा के अंश

कोसी नदी अपडेट - 1972 का बिहार अकाल, नवादा निवासी मोहतरमा जैनब बुआ से चर्चा के अंश

1972 का अकालपत्रकार समी अहमद के सौजन्य से 94 वर्षीया मोहतरमा जैनब बुआ जी, ग्राम पकरी बरावां (तब गया और वर्तमान नवादा जिला) से हुई मेरी बातची...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, 1966 में बिहार विधानसभा में श्री हरिश्चंद्र झा का वक्तव्य

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, 1966 में बिहार विधानसभा में श्री हरिश्चंद्र झा का वक्तव्य

बिहार-बाढ़-सूखा-अकाल -1966पिछले साल कमला-बलान नदी के तटबन्ध 21 जगह टूटे थे और इस साल भी तमाम कोशिशों और पैसा बहाने के बाद भी यह तटबन्ध 4 स्थ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल 1975, श्री कृष्ण कांत चौबे से हुई चर्चा के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल 1975, श्री कृष्ण कांत चौबे से हुई चर्चा के अंश

बिहार-बाढ़-सूखा-अकाल-1975कृष्ण कान्त चौबे, सेवा निवृत्त प्रशासनिक अधिकारी, बिहार सरकार. से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश, जैसा उन्होंने बताया,1...

रिसर्च

©पानी की कहानी Creative Commons License
All the Content is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Terms | Privacy