(बिहार बाढ़-सूखा-अकाल)
2007 की बाढ़ में मधुबनी में हुई एक हृदय विदारक घटना के संबंध में प्रो नरेंद्र नारायण सिंह 'निराला', अस्पताल रोड, वार्ड नम्बर 21, महारानी होन्डा के सामने, स्थान/पो. मधुबनी, 847211, अवकाश प्राप्त प्राथ्यापक, स्नातकोत्तर इतिहास विभाग रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी से बातचीत में इस घटना का विवरण मुझे मिला। उन्होंने यह आलेख स्व. दर्शनानन्द ठाकुर के पुत्र गजानंद राज एवं उनके सम्बन्धी श्री ज्योति रमण झा, पूर्व आयुक्त वार्ड नंबर 15, मधुबनी नगर पालिका से उनके साक्षात्कार के आधार पर किया गया था।
प्रो. निराला लिखते हैं कि, "3 अगस्त, सन् 2007 में मधुबनी में भयंकर बाढ़ आयी थी।" बाढ़ के पानी में बचाव करने में पारस्परिक विवाद के फलस्वरूप पुलिस की गोली से एक व्यक्ति दर्शनानन्द ठाकुर की मौत हो गयी थी। दर्शनानन्द किसी दवाई कम्पनी में मेडिकल रेप्रेज़ेन्टिटिव थे और उनके पिता श्री हीरानन्द ठाकुर मधुबनी नगर पालिका के अवकाश प्राप्त कर्मचारी थे।
उस साल मधुबनी की 12 नंबर रेलवे गुमटी के पास बाढ़ का पानी पश्चिम से पूरब की ओर बह रहा था। इस पानी को रेलवे लाइन के पूरब चकदह गांव के ग्रामीण किसी तरह रोकना चाहते थे। इस पानी का वेग और मात्रा इतनी ज्यादा थी कि अगर उसे रोका नहीं जाता तो चकदह गांव के घर-घर में पानी घुस जाता और वहां भारी तबाही होती। ग्रामीणों द्वारा पानी को रोकने के प्रयास किये जा रहे थे।
अब पानी कहीं न कहीं तो जायेगा और उसके लिये एक ही रास्ता बचा था कि वह पानी शहर के लाल निकुंज मोहल्ले के घरों में फैलता। विपरीत हितों वाले दो समूह पानी के बहाव को लेकर आमने-सामने आ गये। चकदह वालों ने रेलवे लाइन के दूसरी तरफ के बाशिंदों, यानी पश्चिम में लाल निकूंज में रहने वाले को खदेड़ना शुरू किया ताकि उनका गांव बाढ़ के पानी से बचा रहे। तब दोनों समूहों के बीच मारपीट की नौबत आ गयी।
इस परिस्थिति में स्थानीय पुलिस आ गयी और उसे भी लोगों ने खदेड़ा। ग्रामीण आक्रोशित थे और उनके भय से अपनी जान बचाने के लिए एक बंदूकधारी पुलिस दर्शनानन्द ठाकुर के घर में घुस गया। श्री ठाकुर जी लुंगी-गंजी पहने हुए थे। चकदह वाले चाहते थे कि छुपा हुआ पुलिस का आदमी चाहे जिस घर में हो उसे खोज कर वह लोग ठिकाने लगा देंगे और घर में आग लगा देंगे। ठाकुर जी ने भीड़ से कहा कि मैं भी देखता हूं कि पुलिस वाला कहीं मेरे घर में तो नहीं छिपा है। वह पुलिस वाला छिपा तो ठाकुर जी के ही घर में था। जब दर्शनानन्द ठाकुर जी ने अपने घर में प्रवेश किया तो छिपे हुए पुलिस को ऐसा लगा कि यह आदमी चकदह के उत्तेजित ग्रामीणों में से एक है और वह उनसे मार देंगा। ऐसा समझकर पुलिस वालै ने बिना समय गंवाये दर्शनानन्द पर तीन राउंड गोली चला दी जिसकी वजह से इस वारदात में उनकी तत्काल घटनास्थल पर मृत्यु हो गयी।
इस घटना के बाद मामूल के मुताबिक थाना-पुलिस आदि सब कुछ हुआ। जनता की मांग पर दर्शनानन्द ठाकुर की पत्नी श्रीमती उमा देवी ठाकुर की अनुकम्पा के आधार पर लिपिक के पद पर सूरज नारायण सिंह-देव नारायण गुरुमैता, वाटसन उच्च विद्यालय, मधुबनी में नियुक्ति हो गयी। श्री प्रेमचंद्र मिश्र, वर्तमान सदस्य बिहार औविधान परिषद, के प्रभाव-प्रयास एवं माध्यम से कांग्रेस पार्टी की ए.आई.सी.सी. की तरफ से श्रीमती उमा देवी को एक लाख रुपये की राशि तत्काल सहायता के तौर पर प्रदान की गयी थी। श्री मिश्र मेरे अग्रज रहे हैं। उमा देवी ठाकुर का देहान्त 2019 में हो गया था।
प्रो. नरेंद्र नारायण सिंह 'निराला'