1966-67 में बिहार में न सिर्फ भयंकर अकाल पड़ा था, सरकार की ओर से उसकी घोषणा भी कर दी गयी थी। इस साल आम चुनाव भी हुआ था और राज्य में पहली बार एक गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ, जिसका नेतृत्व महामाया प्रसाद सिंह कर रहे थे। यह घोषणा उनकी सरकार के गठन के बाद ही हुई।
जुलाई, 1967 में बिहार विधानसभा में राज्य के अकालग्रस्त होने पर विपक्ष द्वारा सरकार की बहुत लानत-मलामत विपक्ष (मुख्यत: कांग्रेस पार्टी) द्वारा की गयी और सरकार का इस्तीफा तक मांगा गया। इस पूरी बहस का उत्तर तत्कालीन खाद्य मंत्री कपिल देव सिंह ने दिया।
विपक्ष द्वारा गद्दी छोड़ने की बात पर उन्होनें थोड़ी चुटकी ली। उन्होंने कहा कि अभी तो सिर्फ तीन महीने ही हुए हैं इस सरकार को बने हुए। रामचन्द्र तो 14 वर्ष वन में रहे और पांडव 12 वर्ष वन में रहे और उसके बाद एक वर्ष का अज्ञातवास। अब आप किस धर्मशास्त्र के मुताबिक तीन महीने में वापस आना चाहते हैं। यह बात ठीक है, जैसे हम काँग्रेस की शिकायत करके अपने कुछ लोगों को बताते हैं उसी तरह आप लोगों को कहते हैं कि ठहरो-ठहरो, 3-4 महीने में राज वापस आने वाला है। आप कह दें कि पाँच वर्ष में राज वापस आने वाला है तो सैंकड़े में 70 आदमी खिसक कर इधर चले आएंगे।
खाद्य मंत्री कपिल देव सिंह, बिहार विधानसभा वादवृत्त (11 जुलाई, 1967)