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हिंडन नदी - हिण्डन सेवा : सरकार और समाज के समन्वय का अनूठा संगम

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  • September-06-2018

कल नहीं आज और आज नहीं अब.......इसी भाव के साथ मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के साथ मिलकर हमने जुलाई 2018 को हिण्डन नदी को बदहाली से उभारने का साहसी निर्णय लिया था। उस बीज रूपी निर्णय से निर्मल हिण्डन कार्यक्रम जन्मा, जिसने लगभग एक वर्ष का सफर तय करके हिण्डन सेवा के रूप में समाज और सरकार के समन्वय का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। हिण्डन सेवा का कार्य इस सोच के साथ प्रारम्भ किया गया था कि हिण्डन व उसकी सहायक नदियों को समाज के सहयोग से गंदगी मुक्त करना है। किसी पर भी हिण्डन सेवा में भाग लेने का कोई दबाव नहीं दिया लेकिन आग्रह सभी से यह किया गया कि जो नदी सैंकड़ों वर्षों से अपने निकट बसे समाज को खुशहाली देती आई है, आज जब वह गंदगी रूपी रोग से ग्रसित है तो उसका उपचार अथवा सेवा करने की जिम्मेदारी उसके पुत्रों/पुत्रियों की बनती ही है। इस आग्रह पर समाज ने भी निराश नहीं किया और वह उठ खड़ा हुआ हिण्डन सेवा के लिए। सभी साथ बैठे, बात हुई, रणनीति बनी और हिण्डन सेवा प्रारम्भ हो गई। 22 अप्रैल का वह दिन साक्षी बना उस उल्लास का जब सरकार और समाज के नुमाइंदे अपनी हिण्डन नदी को गंदगी मुक्त करने के उद्देश्य से उसमें कूद पड़े। हिण्डन सेवा का कार्य पुरा महादेव के निकट से बहती हिण्डन नदी पर प्रारम्भ हुआ। हिण्डन नदी मेरठ और बागपत जनपद की सीमा रेखा है। नदी की पूर्वी दिशा में मेरठ जनपद तथा पश्चिमी दिशा में बागपत जनपद है। दोनों जनपदों की सीमा पर हिण्डन नदी की सेवा का कार्य एक साथ प्रारम्भ किया गया। मेरठ व बागपत दोनों जनपदों के प्रशासनिक अधिकारी तथा दोनों ही जनपदों के गांवों के प्रधान, बड़ी मात्रा में ग्रामीण, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, स्वयं सेवक व राजनैतिक कार्यकर्ता करीब 1500 की संख्या में एकत्र हुए और नदी सेवा में जुट गए। भयंकर प्रदूषण के कारण जिस हिण्डन नदी के निकट खड़ा होना भी दूभर था उसी गंदगी को नदी से बाहर निकाल फेंकने के लिए मन में नदी प्रेम की भावना के साथ हिण्डन प्रेमियों का जमावड़ा नदी में कूद पड़ा और एक ही दिन में करीब एक किलोमीटर तक नदी साफ कर दी। 

कल नहीं आज और आज नहीं अब.......इसी भाव के साथ मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के साथ मिलकर हमने

कैसे बनी रणनीति

पुरा महादेव के निकट करीब पांच किलोमीटर तक हिण्डन नदी में जलकुम्भी अटी पड़ी थी। यहां यह अहसास तो होता था कि ये नदी का बहाव क्षेत्र है लेकिन नदी देखने को नहीं मिलती थी। इस स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया गया कि इस पांच किलोमीटर की नदी को ऐसा बनाना है जिससे कि नदी जल को सूर्य का प्रकाश तथा वायु दोनों सीधे मिल सकें अर्थात जल कुम्भी को नदी से निकालना है। इसके लिए सबसे पहले संबंधित अधिकारियों व निर्मल हिण्डन टीम की एक बैठक बुलाई गई। बैठक में नदी सफाई संबंधी सभी बिन्दुओं पर गहनता से विचार किया गया तथा सफाई की एक उचित रणनीति बनाई गई। इस दौरान उपयोग में आने वाली वस्तुओं को जुटाया गया। रणनीति के अनुसार नदी के दोनों ओर से एक साथ कार्य करने की योजना बनी। योजना में एक किलोमीटर की नदी को पांच बराबर हिस्सों में बांट दिया गया तथा बागपत व मेरठ जनपद की पांच-पांच टीमें बनाई गईं। प्रत्येक टीम को 200 मीटर की दूरी में ही कार्य करना था। इसके लिए प्रत्येक टीम को आवश्यकता के अनुसार उपकरण व मानव शक्ति (सरकारी व ग्रामीण) उपलब्ध कराई गई। प्रत्येक टीम में करीब 150 हिण्डन प्रेमियों की संख्या तय की गई। प्रत्येक टीम का एक समन्वयक नियुक्त किया गया, जिसके निर्देश पर उस टीम को कार्य करना था। सभी टीमों को निर्देश देने की जिम्मेदारी स्वयं डा. प्रभात कुमार ने संभाली। 

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कौन-कौन बने भागीदार

हिण्डन सेवा में मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार, अपर जिलाधिकारी प्रशासन मेरठ श्री सत्यप्रकाश पटेल तथा बागपत, डी.पी.आर.ओ. मेरठ श्री आलोक शर्मा, बागपत जनपद के डी.डी.ओ. श्री हूब लाल, अपर जिलाधिकारी बागपत सुश्री अन्नपूर्णा, नगर निगम मेरठ के श्री कर्णी, तहसीलदार मेरठ व बागपत, ए.डी.ओ. पंचायत मेरठ व बागपत, मण्डलायुक्त मेरठ के कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारी, मेरठ व बागपत जनपद के विभिन्न गांवों के सचिव, दोनों जनपदों के विभिन्न गांवों के पटवारी, बुढ़ाना के अधिशासी अधिकारी श्री ओम गिरी के नेतृत्व में आई बुढ़ाना नगर पालिका की टीम, खिवाई़ हर्रा, सिवालखास, सरधना, बागपत, बड़ौत, पिलाना व खेखड़ा नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों के सफाई कर्मचारी, मेरठ जनपद से रसूलपुर, कल्याणपुर, किनौनी, करनावल, उकसिया, डालूहेड़ा, मिर्जापुर, रासना, लाहौरगढ़, आलमगिरपुर, जिटौला व कैथवाड़ी तथा बागपत जनपद से पुरा सहित दर्जनों गांवों के प्रधान, सामाजिक संगठन माई क्लीन सिटी के समन्वयक श्री अमित अग्रवाल व उनकी टीम के स्वयं सेवक, कदम फाउंडेशन की टीम के सदस्य, सारथी संस्था की टीम, गरीब निर्धन कन्या सेवा समिति की टीम के सदस्य, नेहरू युवा केंद्र मेरठ की टीम के सदस्य, राजनैतिक कार्यकर्ता श्री राहुल देव, श्री सचिन अहलावत, श्री सुनील रोहटा, बान-सोत नदी के अध्यक्ष श्री अजय टण्डन व उनकी टीम के सदस्यों, गौतमबुद्धनगर के सामाजिक कार्यकर्ता श्री रामवीर तंवर, मेरठ व बागपत जनपद के दर्जनों गांवों के सफाई कर्मचारी व मछुआरों सहित कार्यक्रम के प्रारम्भ से अंतिम दिन तक हजारों हिण्डन प्रेमियों ने भाग लिया। 

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क्या-क्या कार्य हुए

हिण्डन सेवा के दौरान पुरा महादेव के निकट विभिन्न कार्य किए गए।

हिण्डन पुल के दोनों ओर करीब पांच किलोमीटर नदी को साफ किया गया। इस दौरान नदी से जलकुम्भी व अन्य गंदगी को बाहर निकाला गया। 

नदी किनारों पर जमा हुई हजारों टन जलकुम्भी से खाद बनाने हेतु कृषि विभाग का सहयोग लिया गया। कृषि विभाग द्वारा जलकुम्भी का खाद में बदलने के लिए उस पर राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र द्वारा तैयार किए गए जैविक बूस्टर का छिड़काव किया गया। 

नदी के दोनों किनारों से गंदगी को हटाकर उसको साफ-सुथरा बनाया गया तथा समतल किया गया। 

नदी के दोनां ओर नदी की जमीन का चिन्हांकन व सीमांकन किया गया। 

नदी के दोनां ओर वृक्षारोपण हेतु नदी की जमीन को अतिक्रमणकारियों से खाली कराने का कार्य किया गया। 

समय-समय पर हिण्डन सेवा की समीक्षा करते रहे डा. प्रभात कुमार। 

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हिण्डन सेवकों की सेवा

हिण्डन सेवा में लगे रहने वाले हिण्डन प्रेमियों के खाने-पीने की व्यवस्था लाहौरगढ़, मिर्जापुर, रासना व पुरा गांव के लोगों ने मिलकर की। जब तक हिण्डन सेवा का कार्य चला तब तक इन गांववासियों ने सामुहिक रूप से प्रतिदिन भंड़ारे की व्यवस्था की। भंडारे में प्रतिदिन करीब 200-300 हिण्डन प्रेमी भोजन करते थे। इनमें श्री राजीव त्यागी, श्री सचिन कुमार, श्री अमरीश त्यागी, श्री शरणवीर सिंह व उनकी टीम ने भंडारे की व्यवस्था की। 

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बुढ़ाना ने पाई प्रेरणा

हिण्डन सेवा से प्रेरणा पाकर बुढ़ाना कस्बे के अधिशासी अधिकारी श्री ओम गिरी के नेतृत्व में बुढ़ाना कस्बे के निकट से बहने वाली हिण्डन नदी पर भी 5 मई, 2018 को सफाई का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया। हिण्डन सफाई में बुढ़ाना के अपर जिलाधिकारी श्री कुमार भूपेन्द्र, बुढ़ाना नगर पालिका के कर्मचारी, कस्बे के निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता जुटे और करीब एक किलोमीटर की नदी को गंदगी मुक्त कर दिया। इस दौरान निर्मल हिण्डन की टीम के श्री राजीव त्यागी, शुभम कौशिक, अनुभव राठी, इंडियन रैड क्रोस सोसाइटी के डा. राजीव कुमार, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से श्री दीपक कुमार, सैफी जनसेवा समिति के डा. अब्दुल गफ्फार सैफी व नगर पंचायत से श्री सतीश कुमार आदि सैंकड़ों हिण्डन प्रेमियों ने हिण्डन सेवा में भाग लिया।

मुजफ्फरनगर ने भी किया सफल प्रयास

मुजफ्फरनगर शहर के निकट से बहने वाली हिण्डन की प्रमुख सहायक नदी काली पश्चिमी पर जिला प्रशासन द्वारा विशेष सफाई अभियान चलाया गया। जिलाधिकारी श्री राजीव शर्मा द्वारा मुजफ्फरनगर शहर की सीमा में नदी से तमाम गंदगी निकालने के लिए लिए कार्य प्रारम्भ किया व उसको सफलतापूर्वक पूर्ण किया। नदी से हजारों टन कूड़ा व जलकुम्भी बाहर निकाली गई। इस कार्य में मुजफ्फरनगर जनपद के सफाई कर्मचारी व सामाजिक संगठन जुटे। 

गाजियाबाद में भी प्रारम्भ हुआ कार्य

हिण्डन नदी मेरठ-बागपत से बहते हुए आगे गाजियाबाद जनपद में प्रवेश कर जाती है। गाजियाबाद में हिण्डन सेवा के कार्य को प्रारम्भ करने हेतु डा. प्रभात कुमार द्वारा 12 मई को गाजियाबाद जनपद में जिला निर्मल हिण्डन समिति के साथ बैठक की गई तथा नदी का भी निरीक्षण किया गया। बैठक में जिलाधिकारी श्रीमती ऋतु माहेश्वरी व नगरायुक्त, गाजियाबाद सहित समिति के सभी सदस्यों ने भागीदारी की। बैठक व निरीक्षण के पश्चात् निर्णय लिया गया कि 20 मई से हिण्डन सेवा का कार्य प्रारम्भ करना है। गाजियाबाद में हिण्डन सफाई का कार्य मोहन नगर रेलवे पुल के निकट राजनगर एक्सटेंशन में प्रारम्भ किया गया। हिण्डन सेवा में गाजियाबाद की महापौर, नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य, सभी सभासद, नगर निगम के अधिकारी व सफाई कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता व शहर के गणमान्य लोगों ने भाग लिया। मेरठ मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के नेतृत्व में जिला प्रशासन, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं सहित अन्य हिण्डन प्रेमियों ने हिण्डन सेवा में भाग लिया। यह सफाई अभियान 31 मई तक लगातार संचालित किया गया, जिसके दौरान हिण्डन नदी से बड़ी मात्रा में जलकुम्भी व अन्य गंदगी को बाहर निकाला गया।

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पांवधोई नदी में चला सफाई अभियान

सहारनपुर मण्डल के मण्डलायुक्त श्री सी. पी. त्रिपाठी ने पांवधोई नदी के पुनर्जीवन हेतु पहल की और उसकी सफाई का कार्य प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी व नगरायुक्त के नेतृत्व में दो अलग-अलग टीमें बनाईं। एक टीम को शहर से बाहर के नदी के हिस्से में सफाई के लिए लगाया तथा दूसरी टीम को शहर के अंदर नदी के हिस्से पर। दोनों टीमों में नगर-निगम, नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों व गांवों के सफाई कर्मचारी, समाजिक कार्यकर्ता, पांवधोई समिति के सदस्य, विभिन्न विभागों के अधिकारी, जनप्रतिनिधि व साधु-संत भी मौजूद थे। नदी में सफाई का कार्य पहले शंकलापुरी मन्दिर के निकट प्रारम्भ हुआ। यहां अतिक्रमण के कारण नदी बहुत संकरी हो गई थी। नदी की चौड़ाई बढ़ाने के लिए यहां अतिक्रमण हटाया गया और नदी को गहरा किया गया। श्री सी. पी. त्रिपाठी ने स्वयं नदी में उतरकर सफाई की तथा उनके साथ डी. आई. जी. सहारनपुर, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हिण्डन मित्र रमन कान्त त्यागी व सहारनपुर नगर-निगम के महापौर ने भी नदी सफाई में सहयोग किया। 

प्रधान पंचायत

हिण्डन सेवा के कार्य को मेरठ व बागपत जनपद में नदी की दूरी तक किनारे बसे गांवों को हिण्डन सेवा में जोड़ने के उद्देश्य से 22 मई, 2018 को पुरा महादेव हिण्डन पुल के नीचे प्रधान पंचायत का आयोजन किया गया। इस पंचायत में बागपत जनपद में हिण्डन नदी से एक किलोमीटर तक की दूरी के करीब 42 गांवों तथा मेरठ जनपद में नदी से एक किलोमीटर तक की दूरी के करीब 22 गांवों कें प्रधानों, ग्राम सचिवों तथा संबंधित पटवारियों को बुलाया गया। इस पंचायत में ग्राम प्रधानों से अपने गांव के आगे की नदी की सफाई की जिम्मदारी उठाने के लिए कहा गया। इस कार्य को मनरेगा के मजदूरों की सहायता व गांव की निर्मल हिण्डन समिति के सहयोग से करने के लिए कहा गया। जो गांव अपने हिस्से की नदी की सफाई करेंगे वे ऐसी व्यवस्था भी करेंगे कि नदी का वह हिस्सा पुनः गंदा न होने पाए।

कल नहीं आज और आज नहीं अब.......इसी भाव के साथ मेरठ के मण्डलायुक्त डा. प्रभात कुमार के साथ मिलकर हमने

अंत में

निर्मल हिण्डन कार्यक्रम के तहत प्रारम्भ की गई हिण्डन सेवा, हिण्डन व उसकी सहायक नदियों को गंदगी मुक्त बनाने तक अनवरत चलने वाला कार्यक्रम है। 22 अप्रैल, 2018 से प्रारम्भ होकर 30 मई, 2018 को सफलतापूर्वक समाप्त हुआ। इस हिण्डन सेवा से प्रेरणा पाकर हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के बहाव क्षेत्र के सभी जनपदों में नदी सफाई का कार्य प्रारम्भ हो गया। यही इस हिण्डन सेवा की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। 

(रमन कान्त त्यागी)

निदेशक

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बिहार-बाढ़-सुखाड़-अकालश्री रमेश झा, 93 वर्ष, ग्राम बेला गोठ, प्रखंड सुपौल सदर, जिला सुपौल से मेरी बातचीत के कुछ अंश- जेल तो तटबन्धों के भीतर...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1953), पारस नाथ सिंह से हुई बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1953), पारस नाथ सिंह से हुई बातचीत के अंश

बिहार- बाढ़- सुखाड़- अकालपारस नाथ सिंह, आयु 86 वर्ष, ग्राम कौसर, पंचायत गभिरार, प्रखंड रघुनाथपुर, जिला – सिवान से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश। ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1965), रघुवंश शुक्ल से हुई बातचीत के अंश, भाग - 2

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1965), रघुवंश शुक्ल से हुई बातचीत के अंश, भाग - 2

बिहार- बाढ़ - सुखाड़-अकालरघुवंश शुक्ल, 61 वर्ष, ग्राम जयनगरा, प्रखंड तिलौथु, जिला रोहतास.से हुई मेरी बात चीत के कुछ अंश। भाग - 2सोन नहर का फ़ाय...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1965), रघुवंश शुक्ल से हुई बातचीत के अंश, भाग - 1

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1965), रघुवंश शुक्ल से हुई बातचीत के अंश, भाग - 1

बिहार- बाढ़ - सुखाड़-अकाल रघुवंश शुक्ल, 61 वर्ष, ग्राम जयनगरा, प्रखंड तिलौथु, जिला रोहतास.से हुई मेरी बात चीत के कुछ अंश।1965 में यहाँ सोन बरा...
कोसी नदी अपडेट - ऐसे हुआ था तटबंधों का विस्तार

कोसी नदी अपडेट - ऐसे हुआ था तटबंधों का विस्तार

चीन में ईसा पूर्व 700 वर्ष से ह्वांग हो नदी पर बने बांधों का ज़िक्र आता है। उसके बाद बेबीलोन में कुछ बाँध बने थे। इटली की पो नदी पर पहली शताब...
कोसी नदी अपडेट - बाढ़ राहत और उससे जुड़ा तमाशा

कोसी नदी अपडेट - बाढ़ राहत और उससे जुड़ा तमाशा

आज बाढ़ राहत फिर चर्चा में है। किसे मिली, कितनी मिली, कहाँ गलत आदमी को मिली और कहाँ सही आदमी छूट गया जैसे समाचार सुर्ख़ियों में हैं। आज़ादी के ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1948), परमेश्वर सिंह से हुई बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1948), परमेश्वर सिंह से हुई बातचीत के अंश

परमेश्वर सिंह, 86 वर्ष, ग्राम कौसर, पंचायत गभिरार, प्रखंड रघुनाथपुर, जिला सिवान, से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश। वह कहते हैं, हमारा घर घाघरा ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1948), गजेंद्र नारायण झा से हुयी बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1948), गजेंद्र नारायण झा से हुयी बातचीत के अंश

खगड़िया के 85 वर्षीय श्री गजेंद्र नारायण झा, ग्राम सोन्हौली, जिला खगड़िया से मेरी बातचीत के कुछ अंश।वह बताते हैं कि, मेरा घर खगड़िया शहर में...
कोसी नदी अपडेट - बिहार के समय पूर्व आई बाढ़, कुछ नहीं बदला है

कोसी नदी अपडेट - बिहार के समय पूर्व आई बाढ़, कुछ नहीं बदला है

बिहार की समय से पहले आई बाढ़-कुछ नहीं बदला है।इस साल बिहार में इस बात की बड़ी चर्चा है कि वर्षा समय से पहले आ गयी और इसलिए उससे निपटने की सर...
कोसी नदी अपडेट - बिहार में बाढ़ के मौसम की शुरुआत और नेपाल का पानी छोड़ना, भाग-2

कोसी नदी अपडेट - बिहार में बाढ़ के मौसम की शुरुआत और नेपाल का पानी छोड़ना, भाग-2

नेपाल के एक ख्यातिलब्ध इंजीनियर और समाज कर्मी अजय दीक्षित ने इस घटना पर कहा कि," नेपाल में कोई संचयन जलाशय है ही नहीं, जिससे पानी छोड़ा जा स...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1962), सुखदेव सहनी से हुयी बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1962), सुखदेव सहनी से हुयी बातचीत के अंश

ग्राम लदौरा, प्रखंड कल्याणपुर, जिला समस्तीपुर के सुखदेव सहनी से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश। उन्होंने कहा कि,1962 में मैं सयाना हो गया था और ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार में बाढ़ के मौसम की शुरुआत और नेपाल का पानी छोड़ना, भाग-1

कोसी नदी अपडेट - बिहार में बाढ़ के मौसम की शुरुआत और नेपाल का पानी छोड़ना, भाग-1

बिहार में बरसात का मौसम शुरू हो गया है। हर साल की तरह इस बार भी नेपाल द्वारा पानी छोड़ने की बात मीडिया में प्रखर रूप से सामने आ रही है। कुछ ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1950-52), तपेश्वर भाई से हुयी बातचीत के अंश, भाग - 2

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1950-52), तपेश्वर भाई से हुयी बातचीत के अंश, भाग - 2

तपेश्वर भाई, ग्राम-पो.-जगतपुर वाया झंझारपुर, जिला मधुबनी से हुई बातचीत के कुछ अंश, भाग 2छोटी-छोटी नदियों के सामने बाँध बना कर लोग अपने खेतों...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1950-52), तपेश्वर भाई से हुयी बातचीत के अंश, भाग - 1

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1950-52), तपेश्वर भाई से हुयी बातचीत के अंश, भाग - 1

तपेश्वर भाई, 86 वर्ष, ग्राम -पोस्ट जगतपुर, जिला मधुबनी से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश...1950-52 में जो अकाल जैसी हालत हो गयी थी, उस समय धान क...
कोसी नदी अपडेट - बिहार विधान सभा में कर्पूरी ठाकुर का अविस्मरणीय वक्तव्य (वर्ष 1965)

कोसी नदी अपडेट - बिहार विधान सभा में कर्पूरी ठाकुर का अविस्मरणीय वक्तव्य (वर्ष 1965)

बिहार विधान सभा में कर्पूरी ठाकुर का अविस्मरणीय वक्तव्य1965 के फरवरी महीने में बिहार विधान सभा में राज्यपाल अनंत शयनम अय्यंगार का भाषण चल रह...
कोसी नदी अपडेट – गंगा का कटाव शीर्षक के साथ संपादक को लिखा एक आम नागरिक का पत्र (वर्ष 1960)

कोसी नदी अपडेट – गंगा का कटाव शीर्षक के साथ संपादक को लिखा एक आम नागरिक का पत्र (वर्ष 1960)

गंगा का कटाव - इस शीर्षक से यह पत्र मुझे हाल में देखने को मिला। इस गांव का अस्तित्व बचा है या नहीं, मुझे नहीं मालूम। मुमकिन है कि यहां के बा...
कोसी नदी अपडेट - वर्ष 1987 की बाढ़ से हुयी तबाही पर श्रीमती उषा किरण खान से हुआ वार्तालाप भाग -3

कोसी नदी अपडेट - वर्ष 1987 की बाढ़ से हुयी तबाही पर श्रीमती उषा किरण खान से हुआ वार्तालाप भाग -3

1987 में जैसी बाढ़ आयी थी, वैसी बाढ़ वहां पर अभी तक नहीं आयी।पद्मश्री (डॉ.)श्रीमती उषा किरण खान से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश उन्हीं के शब्दों...
कोसी नदी अपडेट - वर्ष 1957 की बाढ़ से हुयी तबाही पर श्रीमती उषा किरण खान से हुआ वार्तालाप, भाग -2

कोसी नदी अपडेट - वर्ष 1957 की बाढ़ से हुयी तबाही पर श्रीमती उषा किरण खान से हुआ वार्तालाप, भाग -2

पद्मश्री (डॉ.)श्रीमती उषा किरण खान के साथ मेरी बातचीत के कुछ अंश -बिहार-बाढ़-सूखा-अकाल, भाग -2मल्लाह अगर रस्सी छोड़ देता तो हम लोगों का क्या...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष 1957 की बाढ़ से हुयी तबाही

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष 1957 की बाढ़ से हुयी तबाही

“जिसके पास घर नहीं हैं, उसका पता है सुलतान पैलेस.” पद्मश्री (डॉ.) श्रीमती उषा किरण खान से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश उन्हीं के शब्दों में....

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