Koshi River
  • होम
  • जानें
  • रिसर्च
  • संपर्क

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री केदारनाथ झा से हुई बातचीत के अंश

  • By
  • Dr Dinesh kumar Mishra
  • January-03-2021
बिहार बाढ़-सूखा-अकाल

श्री केदारनाथ झा, आयु 92 वर्ष, ग्राम बनगाँव, प्रखंड कहरा, जिला सहरसा से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश।

"उस साल यह पानी तो आश्विन-कार्तिक महीनों तक रह गया था...।"

मुझे 1948 और 1949 की बाढ़ के बारे में अच्छी तरह स्मरण है। हमारे गाँव के पश्चिम में धेमुरा, गोरहो और हरिसंखी नदी बहती थी और इन तीनों के बाद थी कोसी। उधर गाँव के पूरब में बढ़िया धार और फिर उसके बाद हुआ करती थी तिलावे। तिलावे हमारे गाँव के हाई स्कूल के पूरब बहती थी। हमारा गाँव इन सबके बीच में पड़ता था और हम लोग हर तरफ पानी से घिर जाया करते थे।

ऐसा आज भी होता है। हमारे गाँव की जमीन ऊँची है इसलिये पानी से घिर कर हमारा गाँव टापू भले ही बन जाये पर बाढ़ का पानी कभी गाँव में प्रवेश नहीं करता था। उस साल यह पानी तो आश्विन-कार्तिक महीनों तक रह गया था और उसके बाद ही उतरना शुरू हुआ था।

उस साल हमारी सारी धान की खेती इन नदियों के पानी में डूबी हुई थी। धान अन्तत: हुआ ही नहीं। रब्बी की फसल हमारे यहाँ वैसे भी नहीं होती थी। हमारे गाँव की ऊँची जमीन में धान, मड़ुआ, मूंग और कुर्थी हो जाती थी। गेहूं-चना वगैरह कुछ नहीं होता था। इस बाढ़ के बाद हमारे यहाँ कांस-पटेर का जंगल उग आया था जिसकी सफाई करने के लिये पटना से ट्रैक्टर मंगवाया गया था और जमीन साफ की गयी थी। तब उस साफ की गयी जमीन पर रब्बी में गेहूं और चने की खेती शुरू हुई।

हमारे यहाँ बाढ़ का पानी 1942 से ही आना शुरू हो गया था। उसके पहले हमारे यहाँ बाढ़ नहीं आती थी। कोसी पर बाँध बनने के बाद से तो अभी भी किसी न किसी सूरत से बाढ़ आती ही रहती है। इस साल (2020) भी हमारा करीब ढाई बीघा खेत, जो गाँव के दक्षिणी भाग में है, पानी में डूबा हुआ है।

1942 के बाद जो पानी हमारे यहाँ आना शुरू हुआ था उसके साथ किस्म-किस्म की मछलियाँ भी आयीं जिन्हें हम घुटने भर पानी में घेर लेते थे और पकड़ कर घर ले आते थे। नदी का पानी हमलोगों की आवाजाही पर असर डालता था मगर मछलियाँ खूब मिलती थी खाने को। फिर जमीन में धान उपज जाये और मड़ुआ हो जाये तो आनन्द में पहुँच जाते थे। दूध-दही तो था ही।

हम लोगों की जरूरतें उन दिनों बहुत ही कम थीं। आज की तरह भागमभाग का माहौल नहीं था। फैशन का नामोनिशान तक नहीं था। जिसके पास जेब में 10 रुपये होते थे वह मूंछ ऐंठ कर चलता था किउसके पास 10 रुपये हैं। एक रुपये में 17 किलो दूध मिलता था। कोसी तटबन्ध पर जब काम शुरू हुआ था तो हमने भी वहाँ कुछ दिनों तक श्रमदान किया था।

श्री केदारनाथ झा


हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

More

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री मुन्नर यादव से हुई बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री मुन्नर यादव से हुई बातचीत के अंश

बिहार-बाढ़-सूखा-अकालमुन्नर यादव, 84 वर्ष, ग्राम बहुअरवा, पंचायत लौकहा, प्रखंड सरायगढ़, जिला सुपौल से मेरी बातचीत के कुछ अंश।हम लोग अभी अपने ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री भोला नाथ आलोक से हुई बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री भोला नाथ आलोक से हुई बातचीत के अंश

बिहार बाढ़-सूखा - अकालपूर्णिया के ग्राम झलारी के 88 वर्षीय श्री भोला नाथ आलोक से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश।1957 में यहाँ अकाल जैसी स्थितियां...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री केदारनाथ झा से हुई बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री केदारनाथ झा से हुई बातचीत के अंश

बिहार बाढ़-सूखा-अकालश्री केदारनाथ झा, आयु 92 वर्ष, ग्राम बनगाँव, प्रखंड कहरा, जिला सहरसा से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश।"उस साल यह पानी तो आश...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री शिवेन्द्र शरण से हुई बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री शिवेन्द्र शरण से हुई बातचीत के अंश

बिहार-बाढ़-सूखा-अकालशिवेंद्र शरण, ग्राम प्रताप पुर, प्रखण्ड और जिला जमुई से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश। 94 वर्षीय श्री शिवेंद्र शरण जी स्वत...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, गंडक तटबन्ध की दरार (वर्ष 1949), श्री चंद्रमा सिंह से हुई चर्चा के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, गंडक तटबन्ध की दरार (वर्ष 1949), श्री चंद्रमा सिंह से हुई चर्चा के अंश

गंडक तटबन्ध की दरार-ग्राम मटियारी, जिला गोपाल गंज, 1949चंद्रमा सिंह, ग्राम/पोस्ट मटियारी, प्रखण्ड बैकुंठपुर, जिला गोपालगंज से हुई मेरी बातची...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री कृपाल कृष्ण मण्डल से हुई बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री कृपाल कृष्ण मण्डल से हुई बातचीत के अंश

बिहार-बाढ़-सूखा-अकाल-1949श्री कुणाल कृष्ण मंडल,ग्राम रानीपट्टी, प्रखंड कुमारखंड, जिला मधेपुरा से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश "दोनों धारों के ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री रमेश झा से हुई बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, श्री रमेश झा से हुई बातचीत के अंश

बिहार-बाढ़-सुखाड़-अकालश्री रमेश झा, 93 वर्ष, ग्राम बेला गोठ, प्रखंड सुपौल सदर, जिला सुपौल से मेरी बातचीत के कुछ अंश- जेल तो तटबन्धों के भीतर...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1953), पारस नाथ सिंह से हुई बातचीत के अंश

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1953), पारस नाथ सिंह से हुई बातचीत के अंश

बिहार- बाढ़- सुखाड़- अकालपारस नाथ सिंह, आयु 86 वर्ष, ग्राम कौसर, पंचायत गभिरार, प्रखंड रघुनाथपुर, जिला – सिवान से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश। ...
कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1965), रघुवंश शुक्ल से हुई बातचीत के अंश, भाग - 2

कोसी नदी अपडेट - बिहार बाढ़, सुखाड़ और अकाल, वर्ष (1965), रघुवंश शुक्ल से हुई बातचीत के अंश, भाग - 2

बिहार- बाढ़ - सुखाड़-अकालरघुवंश शुक्ल, 61 वर्ष, ग्राम जयनगरा, प्रखंड तिलौथु, जिला रोहतास.से हुई मेरी बात चीत के कुछ अंश। भाग - 2सोन नहर का फ़ाय...

रिसर्च

©पानी की कहानी Creative Commons License
All the Content is licensed under a Creative Commons Attribution 3.0 Unported License.
Terms | Privacy