श्री योगेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव (अब स्वर्गीय) बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके थे. उनका लिखा यह पत्र मुझे देखने को मिला.
संपादक के नाम पत्र,
आर्यावर्त पटना 18 सितंबर, 1960
महाशय,
आप के लोकप्रिय पत्र द्वारा बिहार सरकार, विशेषकर माननीय विनोदानंद झा, राजस्व मंत्री का ध्यान धनहा थाना (चंपारण) की ओर ले जाना चाहता हूं, जहां कटाव से आधे दर्जन गांव गंडक नदी की तेज धारा में विलीन हो गए और कटाव जारी है. उन गांवों में प्रमुख हैं केवनियां, सेमरा, बैराटोला और ओझवलिया आदि. सरकारी कचहरी, सीनियर बेसिक स्कूल तथा कम्युनिटी हॉल की जड़ें भी जल-विलीन हो गई हैं. हाल ही में निर्मित सिंचाई विभाग का बांध भी कुछ दूर तक कट गया और अधिकारीगण निसहाय बैठे हैं. धनहा थाने में आज पांच-छ: वर्षों से कुंवरी, केवनियां, सेमरा, रखही, सिमरवारी, पिपराही, नवका टोला, सौरहा, बलुआ, सोहागी बरवा, सिसई, निबिअहवा, नैनहा, भगवानपुर इत्यादि गांव कट चुके हैं और वहां के लोग मारे-मारे फिर रहे हैं. अभी तक उनके पुनर्वास का कोई स्थायी प्रबंध नहीं हो सका. कभी कोई आर्थिक सहायता मिली भी तो ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर.
एक-आध बार अधिकारियों ने धनहा के लोगों को सुदूर कोतरहा जंगल में, जो भैंसालोटन के पास है, बसाने की बातें भी कहीं तो वहां से लोग लौट आए क्योंकि वहां की फाजिल जमीन कांग्रेसी नेताओं ने लाठी के बल पर बिना बंदोबस्ती के आबाद कर लिया है. इधर धनहा थाने में सिंचाई और सड़क में अधिकतर जमीन निकल गई क्योंकि यह थाना गंडक नदी के किनारे लम्बे रूप से बसा है. इसकी चौड़ाई कहीं-कहीं एक मील तो कहीं कुछ भी नहीं है क्योंकि बीच में उत्तर प्रदेश आ गया है.
हमने काम-रोको प्रस्ताव द्वारा विधानसभा में एक स्थायी अधिकारी की पुनर्वास के लिए नियुक्ति की मांग की थी. श्री झा ने पुनर्वास पर ध्यान देने का वादा किया लेकिन अब स्थिति और भी भीषण हो गई है और अधिकारी वर्ग कागजी कार्यवाही के अलावा और कुछ नहीं कर रहा है. कटाव जोरों पर है, अतः आशा करता हूं कि सरकार शीघ्र से शीघ्र विस्थापितों को बसाने और जमीन देने की कार्यवाही करेगी.
योगेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव (एम.एल.ए., धनहा, चंपारण)
नोट: उन दिनों चंपारण जिले के मधुबनी और ठकराहा प्रखंड हर साल बाढ़ और कटाव के कारण चर्चा में रहते थे. शायद अब कुछ सुधार हुआ हो.