राज्य की सिंचाई नीति पर चल रही बहस में कोसी परियोजना के बारे में बात करते हुए नदी के दोनों तटबन्धों के बीच रहने वाले विधायक परमेश्वर कुँवर का कहना था कि आज कम से कम दो लाख से अधिक लोग इस कोसी योजना के चलते परेशान हो रहे हैं। मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि जब कोसी नदी आज़ाद बहती थी तो करीब साढे चार लाख एकड़ जमीन कोसी की बाढ़ के चलते क्षतिग्रस्त होती थी। आज जब कोसी के दोनों किनारों पर तटबन्ध का निर्माण किया गया है और योजना समाप्त होने पर है तो ऐसी हालत में साढ़े चार लाख एकड़ में से 2.6 लाख एकड़ जमीन ऐसी है जो स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त होती रहेगी, जिसका कभी उद्धार नहीं होने वाला है। यह कोसी की बाढ़ में हमेशा फंसी रहेगी और हमेशा के लिये बरबाद हो गयी। इसके साथ ही कोसी के तटबन्धों के भीतर डेढ़ लाख से अधिक लोगों का सब कुछ सदा के लिये नष्ट हो गया। इसकी खबर सरकार को है या नहीं, यह पता नहीं है।
उनका कहना था कि कोसी नदी को तो तटबन्धों के भीतर कैद कर लिया गया है लेकिन उसके साथ-साथ उसके भीतर रहने वाले लोग भी तबाह हो रहे हैं, पशु तबाह हो रहे हैं। उनकी ओर माननीय सिंचाई मंत्री ने कोई ध्यान नहीं दिया है। यह ठीक है कि बजट में उनके पुनर्वास में 2.16 लाख (यह करोड़ होना चाहिए) रुपया रखा गया है लेकिन कोसी नदी के तटबन्धों के भीतर रहने वाले 306 गाँवों में से हर साल करीब सैकड़ों गाँव कोसी नदी से कट जाते हैं। उनके रहने के लिये जमीन अर्जित की गयी है लेकिन वह सिर्फ उनके पुनर्वास के लिये है और वह भी एक साल के लिये बन्दोबस्त कर दी जाती है। नतीजा यह होता है कि किसान बरसात में अपनी रक्षा के लिये अपने मवेशियों को बाहर ले नहीं जा सकते। इस प्रकार उन्हें बाहर भी और कोसी तटबन्धों के भीतर भी, दोनों जगहों में, रहना पड़ता है क्योंकि भीतर में आवास सम्भव नहीं है और बाहर उनका खेत नहीं है। इससे उनको बड़ी परेशानी होती है। कोसी तटबन्धों के बीच अब एक भी पेड़ नहीं बचा है। वहाँ अब न एक बाँस बचा है न कोई लकड़ी बची है। इस ओर सरकार का ध्यान जाना चाहिये कि कोसी के अन्दर रहने वाले जो लोग हैं वह अपना घर बना सकें, इसका इन्तजाम होना चाहिये क्योंकि उनको हर साल घर बनाना पड़ता है। तटबन्धों के भीतर रहने वाले विद्यार्थियों को स्टाइपेंड देकर पढ़ने की व्यवस्था होनी चाहिये।
इसके अलावा जितना भ्रष्टाचार कोसी इलाके में है उतना बिहार में कहीं भी नहीं है। विभाग अगर जाँच करवाये तब पता लगेगा कि जिसके पास पाँच बीघा जमीन भी नहीं है, वह मालामाल हो गये हैं। उन्होंने सिंचाई मंत्री से आग्रह किया कि वह एक बार स्वयं आकर उस इलाके को देख जायें।