बाढ़ पूर्व चेतावनी का सच - भाग 1
आजादी के बाद बिहार में सबसे बड़ी बाढ़ 1954 में आयी थी और उसको लेकर के विधानसभा में काफी बहस हुई थी। इस बहस में सहरसा क्षेत्र के विधायक लहटन चौधरी ने जो कुछ भी कहा था उसे मैं यहां उद्धृत करना चाहता हूं।
वह कहते हैं कि सहरसा में बाढ़ रात में एकाएक आयी। इस बाढ़ ने कैसी भयंकर स्थिति पैदा कर दी होगी उसके विनाशकारी रूप की कल्पना ही की जा सकती है। जिन इलाकों में पानी हर साल आता था वहां तो लोग मचान बनाकर घरों के अंदर सो रहे थे और वह समझते थे कि हर वर्ष की तरह से बाढ़ आयेगी। उन्हें इस प्रलयंकारी बाढ़ का कोई अंदाजा और आभास भी नहीं हो सकता था लेकिन जब एकाएक बाढ़ का पानी घुसा तो तहलका मच गया और जहां बाढ़ प्रथम बार इस विकराल रूप में पहुंची वहां का तो कहना ही क्या?
कितनी जगह में घर के छत पर को फाड़-फाड़ कर लोगों को निकाला गया क्योंकि पानी छप्पर के ऊपर से बहता था। कितने घर गिर गये। कितने गांव के गांव कट गये। सरकार की फिगर है कि सैकड़े से कम की मृत्यु हुई है मगर ठीक-ठीक कहना मुश्किल है कि कितनी मृत्यु हुई होगी। जिन इलाकों में 20-25 वर्ष से बाढ़ नहीं आयी थी वहां भी आयी और सहरसा जिले के 16 थानों में से तीन थानों को छोड़ कर सब जगह बाढ़ का भयंकर प्रकोप हुआ। पहले इस जिले के 4 थानों में बाढ़ आती थी और बाकी 12 थानों में नहीं आती थी लेकिन इस साल इन थानों में भी भयंकर स्थिति उत्पन्न हुई है।
उनका सबसे बड़ा क्षोभ बाढ़ की पूर्व चेतावनी न दिये जाने से था। उन्होंने कहा कि हिमालय से जैसे ही बाढ़ चले वायरलेस से जिले के जिला मजिस्ट्रेट को खबर दी जा सकती है। ऐसी खबर नहीं दी गयी। बाढ़ के पानी को हिमालय से चल कर नीचे पहुंचने में 3 या 4 दिन लग जाते हैं और पहले से खबर होने से लोग अपनी चीजों को बचाने का कुछ इंतजाम कर लेते लेकिन दुख की बात है कि वह वायरलेस पानी पहुंचने के कई दिन बाद वहां पहुंचा और दूसरी दफे जब बाढ़ आयी तो उसकी खबर लोगों को मिली ही नहीं और आज तक वायरलेस नहीं पहुंचा है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि सहरसा के अधिकांश हिस्सों में पानी अभी भी जमा है और सारे जिले की फसल बह गयी है। यह पानी आगे भी कई महीनों तक जमा रहेगा जिसमें रब्बी की फसल होने की भी बहुत कम जगहों में कम ही आशा है। भदई तो मारी ही जा चुकी थी। उसको देखते हुए मालूम होता है कि वहां अकाल पड़ेगा।
यह बात आज से 68 साल पहले कहीं गयी थी और आज के बिहार के जल संसाधन मंत्री भी बाढ़ की पूर्व चेतावनी दिये जाने की विस्तृत योजना पर काम करना चाहते हैं। जाहिर है बीच के समय में इस महत्वपूर्ण विषय पर केवल लफ्फाजी हुई है। यही काम भविष्य में नहीं होगा इसका जिम्मा कौन लेगा?
क्रमशः