1972 का सुखाड़ और बिहार विधानसभा में श्री गजेन्द्र प्रसाद 'हिमांशु' का भाषण
जैसी स्थिति वर्षा और कृषि को लेकर इस साल हो रही है, वैसी ही स्थिति 1972 में भी हुई थी। जून के महीने में अनावृष्टि को लेकर बिहार विधानसभा में चार दिन तक लगातार बहस चली। उसी बहस में गजेन्द्र प्रसाद 'हिमांशु' जी ने सरकार की सिंचाई नीति की असफलता पर बहुत खरी-खोटी सुनायी थी। उनके भाषण के कुछ अंश यहां उद्धृत कर रहा हूं।
दरभंगा जिले के कुछ हिस्सों के बारे में चर्चा करते हुए गजेंद्र प्रसाद 'हिमांशु' का मानना था कि इस युग में जो सरकार मानसून पर निर्भर करे, यह आश्चर्य की बात है। 1967 में जो संविद सरकार बनी थी, उसने बड़े साहस का काम किया कि बुरी तरह प्रभावित इलाके को अकाल ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया। यह सरकार जानती है कि इससे कुछ होने वाला नहीं है, इसलिये जनता के लिये कुछ करना नहीं चाहती। अकाल क्षेत्र यह सरकार घोषित नहीं करेगी और न जनता की मदद करेगी। मुझे याद है कि गत बाढ़ के समय श्री चंद्रशेखर सिंह रेडियो पर बराबर भाषण दिया करते थे कि जनता को खाद देंगे, बीज देंगे, भूसा देंगे। लेकिन उनका खाद और भूसा कहां गया? न भूसा मिला न खाद मिली। इनकी निकम्मी सरकार की यह ताकत नहीं है कि इस परिस्थिति का मुकाबला कर सकें। ख़ैर मनाइये कि उस समय संविद सरकार थी, जिसने कुछ करके दिखला दिया और भूखी जनता को मरने नहीं दिया। यदि यह सरकार रही होती तो हजारों लोग मर जाते...
बिहार की 80 प्रतिशत जनता खेती पर निर्भर करती है। कितनी नदियां हैं जिससे सिंचाई का प्रबन्ध किया है? यह तो प्रकृति और मानसून पर भरोसा करती है और भाषण से अकाल को दूर करना चाहती है तो यह नहीं होगा। गत बार ज्यादा वर्षा होने के कारण बहुत फसल बर्बाद हो गयी। दरभंगा, मुंगेर और पटना का पूरा का पूरा इलाका पानी में डूब गया था और मामूली गेहूं की फसल हुई थी और आज सूखा पड़ गया है तो अब यह लोग क्या कर सकेंगे? जिनको एक दो बीघा जमीन है उनको तो फसल हुई नहीं है। उस पर उनके सरकारी मुलाजिम कुर्की-जब्ती का आदेश लेकर गांव में जाते हैं। सरकार को शर्म आनी चाहिए। यह पगली सरकार है...
इनके अफसर चौखट उखाड़ते हैं, इनको शर्म आनी चाहिये। बिहार में भुखमरी है। दरभंगा, पूर्णिया और मुंगेर में आप जायें तो देखेंगे कि लोगों के तन पर वस्त्र नहीं हैं, उनको खाने के लिए नहीं है और सरकारी आंकड़ा है कि 50 प्रतिशत लोग भूखे रहते हैं। उसके बाद भी आप के अफ़सर गांव में जाकर कुर्की-जब्ती करते हैं। यह बड़े दुख की बात है।
अपने क्षेत्र हसनपुर प्रखंड के बारे में उन्होंने बताया कि बगल में कुशेश्वर स्थान है। वहां फसल हुई ही नहीं है। उसको सरकार ने गत वर्ष अभावग्रस्त घोषित किया था लेकिन वहां न तो कोई राहत का काम किया गया और न ही कोई योजना चलाई गयी। वहां एक बी.डी.ओ. गये और एक मजिस्ट्रेट को भेज दिया गया जो कुर्की जब्ती कर रहे हैं। अतापुर गांव के श्री शाके शरण सिंह ने के घर जाकर उनका एकमात्र बैल खोल लिया और अब उनकी बीवी ने मना किया तो मजिस्ट्रेट ने कहा कि उनको भी गिरफ्तार करो। औरत की गिरफ्तारी की बात आप करते हैं और इस तरह नादिरशाही की बात करते हैं।
मैं कहना चाहता हूं कि भाषण कम करें अगर आप चाहते हैं कि जनता की भलाई हो। कठिन श्रम की योजनाएं लागू करें, ऋण की वसूली बन्द करें। (राज्य में) ब्लॉक है पौने सात सौ और दिया गया है 70 लाख रुपया तो इससे क्या होगा? कितना रुपया प्रति व्यक्ति पड़ेगा? इसके बाद कहते हैं कि इतना रुपया हमने कर्ज दे दिया। मैं निवेदन करता हूं कि आप दरभंगा जिले को अकाल ग्रस्त क्षेत्र घोषित करें और अगर सम्भव हो तो पूरे बिहार को भी। सिंचाई का प्रबन्ध करने से ही अकाल दूर हो सकेगा।