हो सकता है गंगा जी ने आपकी प्रार्थना सुन ली हो।
1956 की बात है। अगस्त का अन्तिम सप्ताह और सितम्बर महीने के पहले सप्ताह का समय था। मुंगेर जिले के परबत्ता थाने (वर्तमान खगड़िया जिला) में खजरेखा गांव के पास गंगा नदी का तटबन्ध कट कर बह गया। यहां का दुधैला गांव, जो पिछले कई वर्षों से गंगा की धार से कट रहा था, सितम्बर के पहले सप्ताह में इस साल पूरी तरह से गंगा में समा गया था। मथुरापुर गांव के भी बहुत से घर गंगा की भेंट चढ़ गये थे।
सालारपुर-बिसौनी गांव के पास भी तटबन्ध में दरार पड़ी थी जिसकी वजह से हजारों एकड़ भूमि पानी में चली गयी थी। रास्ता न मिल पाने से इन गांवों में सरकार द्वारा राहत सामग्री पहुंचाने में देर हो रही थी।
इस बांध के टूटने का सवाल बिहार विधानसभा में विधायक त्रिवेणी कुमार ने एक काम रोको प्रस्ताव के माध्यम से उठाया। उनका कहना था कि यह बांध पिछले डेढ़ साल से कट रहा था जिसका संज्ञान सरकार ने नहीं लिया। अगर सरकार चाहती तो पहले से इसकी तैयारी करती मगर उसने ऐसा नहीं किया। इस कटाव स्थल से 100 गज पीछे हट कर एक नया बांध (रिटायर्ड लाइन) जनता के सहयोग से बनाया गया था। जिस रात को पहला मूल बांध टूटा उस समय पानी का धक्का इतनी जोर से लगा कर दूसरा बांध (रिटायर्ड लाइन) भी टूट गयी। सरकार के अफसर दोनों बांधों को मजबूत मानते थे जबकि जनता इससे सन्तुष्ट नहीं थी। वहां साइट पर आयरन की चादरें थीं। पास में ईंट के दो भट्ठे थे, उनका उपयोग किया जा सकता था मगर फिर भी नया बांध टूटा। इससे लाखों की मकई बरबाद हो गयी और दस हजार एकड़ से ज्यादा मिरचार्ई (मिर्च) की खेती बह गयी। जानवरों का चारा भी एकदम बह गया। हम समझते हैं कि इरिगेशन डिपार्टमेंट की ग्रास नेगलेक्ट के चलते इतनी बड़ी क्षति हुई।
इस प्रश्न के उत्तर में सिंचाई मंत्री रामचरित्र सिंह ने कहा कि, 'इन्होंने खुद ही कहा है कि बहुत पहले से गंगाजी बांध को काट रही थीं। हमारे डिपार्टमेंट के अफसरों ने इसे बचाने की पूरी कोशिश की और इसके लिये एक रिंग बांध बांधा गया। इस बात का ध्यान रखा जाये कि ज्यादा नुकसान नहीं किया जाये। अब गंगा जी ने बांध को काट दिया तो यह मामूली सी बात है। आपसे हम बराबर यह सुनते आये थे कि बाढ़ आने से जमीन के कीड़े मर जाते हैं जिससे फसल अच्छी होती है। हो सकता है गंगा जी ने आपकी प्रार्थना सुन ली हो।
त्रिवेणी कुमार का अभी भी यह मानना था कि यह बात फैलाई गयी है और कहा गया है कि बाढ़ से लोगों को फायदा है और इसलिये लोगों को बांध का टूटना पसन्द है मगर लोग यही चाहते हैं कि बांध के पश्चिम तरफ एक स्लुइस गेट बना दिया जाये जिससे अपने मन के मुताबिक पानी लाया जा सके। ऐसा तो नहीं किया गया। इससे मालूम होता है कि सरकारी अफसरों ने जान-बूझ कर इसे काट दिया।
क्रमशः