श्री सूरज नारायण सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि
बिहार विधानसभा में सूरज बाबू, 1965
गत आठ-नौ जुलाई को कमला बलान तटबन्ध का पूर्वी-पश्चिमी बांध 18 जगहों में बाढ़ के पानी के कारण टूट गया, जिससे दर दरभंगा जिले के पूर्वी हिस्सों को अपार धन की क्षति हुई है। उस पर विचार के लिये मैं सदन का ध्यान आकर्षित करता हूं।
इस महीने की 7-8 तारीख को मिथिला में लग्न की अन्तिम तिथि थी लेकिन बाढ़ की वजह से नव-विवाहित वर-वधू रेलवे स्टेशन पर खड़े रह गये और अपने स्थान पर नहीं पहुंच सके। वहां पर एक अजीब संकट उपस्थित हो गया था और यातायात बन्द हो गया था। वहां के कमिश्नर ने कबूल किया है कि वहां पर अचानक इस साल बाढ़ आ गयी थी और इसलिये समय पर नाव का भी उचित प्रबन्ध नहीं हो सका था। उस समय नाव की वहां बड़ी कमी हो गयी।
अध्यक्ष - जहां तक मुझे जानकारी है बिहार सरकार का आदेश है कि बाढ़ के सम्बन्ध में व्यवस्था करने के लिए 15 जून को बैठक बुलाई जाती है। शायद वह बैठक भी नहीं बुलायी गयी। यहां तो उनका दोष है जरूर।
सूरज नारायण सिंह - जैसा कि अध्यक्ष महोदय ने बताया 15 जून को जो बैठक बुलायी नहीं चाहिये थी वह नहीं बुलायी गयी। नाव की व्यवस्था भी नहीं हुई। अजीब सी बात है जिस तरह से मुर्दे पर गिद्ध बैठता है उसी तरह से नाव के लिये...
अध्यक्ष - मिलिट्री से नाव आयी थी या नहीं?
सूरज नारायण सिंह - आयी थी मगर पीछे आई थी। झंझारपुर थाने में अन्न का जो वितरण हुआ वह ऐसा था कि जानवर को भी खिलाया जाये तो हैजा हो जायेगा, इन्सान की नाक के सामने वह अन्न लाया भी नहीं जा सकता था। रिलीफ के नाम पर ऐसा अन्न बांटा गया। 9 तारीख को बाढ़ आयी और 10 तारीख को वहां एक मुट्ठी अन्न भी रिलीफ के रूप में नहीं मिला। महिया और मछैटा गांव में एक पाव भी चना नहीं गया था। 14 तारीख तक रिलीफ की कोई व्यवस्था नहीं हो सकी थी, मिट्टी तेल नहीं मिला। सरकारी ऑफिसर की असावधानी से भ्रष्टाचार के चलते दरभंगा जिले के लोग तबाह हैं।
सूरज नारायण सिंह
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, बिहार विधानसभा वादवृत्त
21 जुलाई, 1965