पानी के लिये ख़ूनी संघर्ष- बिहार 1957
1957 में हथिया नक्षत्र का पानी न बरसने से शाहबाद जिले में फसल को बचाने के क्रम में पानी के उपयोग को लेकर बात पारस्परिक कटुता, विद्वेष और फौजदारी तक पहुंच गयी थी। हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे थे और पानी पर स्वामित्व या पहले से हो रहे उसके उपयोग को लेकर खूनी संघर्ष तक की नौबत आ गयी थी। इन झगड़ों में 12 अक्टूबर के दिन दिनारा थाना के डेढ़ुआ गांव में दो लोगों की हत्या हुई और एक आदमी नवानगर थाना क्षेत्र में मारा गया।
डुमरांव थाने के खेरौली गांव के एक बड़े जोरदार हीरामन उपाध्याय अपनी फसलों की बर्बादी देख कर 13 अक्टूबर को अपना मानसिक संतुलन खो बैठे। इस तरह की घटनायें अधिकतर उन इलाकों में हो रही थी, जो सोन परियोजना की नहरों के आखिरी छोर पर पड़ते थे और उस क्षेत्र का अधिकांश भाग डुमरांव, बक्सर और नवानगर थानों में पड़ता था। बक्सर और नवानगर थाने के मनोहरपुर कैनाल डिवीजन के ऊपरी हिस्सों में धान अभी भी किसी तरह से बचा हुआ था और निचले इलाके के किसान धान को काट कर जानवरों को खिलाने के लिये रख रहे थे क्योंकि अब खेतों में कुछ पैदा होने वाला नहीं था। डुमरांव थाने के अधिकांश गांव नहर के निचले इलाके में ही पड़ते थे और वहां के किसानों में मायूसी थी।