एक सुखाड़ यह भी - 1960
पूर्णिया के कटिहार सब-डिवीजन में मई महीने में लगभग तीन चौथाई कुएं सूख चुके थे और अब उनमें से पानी के बदले कीचड़ ही निकलता था, जिसके कारण पेयजल का घोर अभाव हो गया था। जानवरों के लिये घास और पत्ते सूख जाने के कारण चारे की कमी भी बहुत ज्यादा हो गयी थी। कटिहार सब-डिवीजन में अग्निकांड की कई घटनायें हुईं, जिनमें कुछ लोगों के मारे जाने की खबर थी।
यह घटनायें मरंगी, परतैली, मोरसंडा, हाजीपुर तथा कटिहार शहर के कुछ मोहल्लों में हुईं। केवल कटिहार सब-डिवीजन में पांच हजार घर जल कर भस्म हो गये और लगभग दस लाख रुपयों की सम्पत्ति जल कर राख हो गयी। फसलों को लगातार हुई क्षति ने अग्नि पीड़ितों की कमर ही तोड़ दी। कटिहार शहर में गर्मी के मारे कुत्ते बदहवास हो गये थे और उन्होंने लोगों को काटना शुरू कर दिया था। ऐसी घटनायें डहरिया और मंगल बाजार के क्षेत्र में ज्यादा हो रही थीं।
स्रोत-आर्यावर्त-पटना