गंगा का कटाव - इस शीर्षक से यह पत्र मुझे हाल में देखने को मिला। इस गांव का अस्तित्व बचा है या नहीं, मुझे नहीं मालूम। मुमकिन है कि यहां के बाशिंदे उजड़ कर अलग-अलग जगहों पर जा बसे हों। अगर गांव सलामत है तो उसकी अपनी व्यथा-कथा होगी। इस पर चर्चा के लिए यह पत्र प्रेषित कर रहा हूं। सम्भव हो सका तो एक बार जाना भी चाहूंगा। आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
सम्पादक के नाम पत्र, आर्यावर्त-पटना, 5 सितम्बर, 1960
महाशय, पता चला है कि कहलगांव थाने की भैलसर पंचायत का त्रिमुहान गाँव कई दिनों से गंगा की बाढ़ से कटता जा रहा है. पंचायत के मुखिया के कथनानुसार अभी तक करीब 15 घर गंगा की चपेट में आ चुके हैं. अनुमान किया जाता है कि अगर एक सप्ताह के अन्दर उक्त गाँव की रक्षा का कोई उपाय नहीं किया गया तो समूचा गाँव गंगा के गर्भ में चला जायगा और करीब पांच हज़ार व्यक्ति बेघरबार हो जायेंगें. कहा जाता है कि अभी तक कटाव पीड़ितों की सहायता का कोई प्रबंध नहीं किया गया है.
यह ज्ञातव्य है कि ग्राम की जनता गंगा से कटाव की रक्षा के लिये सरकारी अधिकारियों, क्षेत्र के प्रतिनिधि तथा जन-कार्य मंत्री श्री सैयद मकबूल अहमद से गत जनवरी से ही मांग करती आ रही है. यह भी ज्ञातव्य है कि गत 23 जुलाई को सिंचाई मंत्री श्री दीप नारायण सिंह तथा जानकारी मंत्री श्री सैयद मकबूल अहमद ने घटनास्थल का निरीक्षण भी किया था. साथ ही ग्रामीणों को आश्वासन भी दिया था कि गंगा के कटाव से अवश्य रक्षा की जायेगी. परन्तु उन लोगों के आश्वासन के बावजूद आज तक कोई भी प्रबंध नहीं किया गया है. मुखिया ने जिलाधीश को भी कटाव की सूचना दे दी है.
आशा है इस ओर अविलम्ब ध्यान दिया जाएगा.
एक नागरिक, भागलपुर.
संपादकीय विशेष –
उपर्युक्त पत्र वर्ष 1960 में लिखा गया था, जिसमें बाढ़ की भयावह परिस्थितियों का दर्शन होता है, लेकिन आज लगभग 60 वर्ष बीत जाने के बाद भी हालात वही हैं. बाढ़ का आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो बदस्तूर जारी है लेकिन आश्वासनों का मिलते रहना भी यहां बदस्तूर जारी है और इसे प्राकृतिक नहीं कहकर राजनीतिज्ञ स्वाभाविक मानसिकता जरुर कहा जा सकता है. बीते वर्ष 2019 में एक समाचार पत्र की पंक्तियां भारत की आश्वासन देते रहने की राजनीतिज्ञ मानसिकता को बयां कर रही हैं...
“घोसवरी प्रखंड के त्रिमुहान पंचायत में सुरक्षा दीवार बनेगी। मुहाने नदी से त्रिमुहान गांव को बचाने के लिए तथा बाढ़ के समय लोगों की समस्याओं को देखते हुए सुरक्षा दीवार बनाने का निर्णय लिया गया है। जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने घोसवरी के त्रिमुहान गांव में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए सुरक्षा बांध और दीवार बनाए जाने की घोषणा की थी।“ (जनवरी, 2019)