पानी की कमी पर युद्ध की बात हम सब करते हैं, पानी ज्यादा हो तो क्या करता होगा, कभी सोचा है?
अगस्त 1955 की यह एक हृदय विदारक घटना है, जो उस समय के दरभंगा और आज के समस्तीपुर जिले में घटित हुई थी. समस्तीपुर-खगड़िया रेल खंड पर रोसड़ा और वर्तमान मब्बी हाल्ट स्टेशनों के बीच इस रेल लाइन के दोनों तरफ गाँव बसे हुए हैं. रोसड़ा से दो मील पूरब में इस रेल लाइन के उत्तर तरफ खैरा दरगाह, कोठिया, मब्बी, सइहारीपुर आदि गाँव हैं. दक्षिण में खैरा, उदयपुर और गोबिंद पुर आदि गाँव स्थित हैं. खैरा और खैरा दरगाह के बीच रेल लाइन में पानी की निकासी के लिये दो गोलाकार ईंट से निर्मित बम्बे बने हुए थे. 1954 में इस इलाके में बहुत बड़ी बाढ़ आई थी जिसमें इस बम्बे से होकर तेजी से बाढ़ का पानी खैरा में घुसा और वहाँ काफी नुकसान हुआ. ऐसा पहले कभी हुआ नहीं था तो गाँव के लोगों की स्थिति से निपटने की कोई तैयारी भी नहीं थी लेकिन गाँव के लोग इतना जरूर समझ गये थे कि अगर यह बम्बा यहाँ नहीं रहा होता या कहीं और होता तो उनकी इतनी तबाही नहीं होती. तब इन लोगों ने तय किया किया कि भविष्य में कभी ऐसा हुआ तो सब मिल कर बम्बे को मिट्टी-बालू से पाट देंगें और पानी को गाँव मे नहीं घुसने देंगे.
उन्हें ज़्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी, 1955 के अगस्त महीनें में पिछले साल के मुकाबले ज़्यादा बड़़ी बाढ़ आ गई. इस बार उसमें रोसड़ा के पास बाँध टूट जाने से बूढ़ी गंडक का पानी भी शामिल था. पहले के निर्णय के अनुसार लाइन के दक्षिण बसे खैरा गाँव वालों ने बम्बे का मुँह बन्द कर दिया, बम्बे का मुँह बन्द हो जाने से बाढ़ का पानी रेल लाइन के उत्तर में खैरा दरगाह, कोठिया, मब्बी आदि गांवों मे फैलना शुरू हुआ.
तब इन गाँवों के लोग लाठी-डंडे के साथ खैरा पहुँचे और रेल लाइन पर ही बाता-बाती शुरू हुई. इसी बीच बाहर से आए गाँव वालों ने बम्बे के पास खैरा के एक चन्दू महतो को देख लिया और उस पर लाठी से वार कर दिया. चन्दू महतो वहीं ढेर हो गये तब खैरा के लोग भी सक्रिय हुए और दोनों तरफ से घात-प्रतिघात शुरू हुआ. इस झगड़े में छ: लोग उत्तर के गाँवों के मारे गये. इनमें से तीन कोठिया के थे जिनके नाम मिश्री लाल यादव, स्वरूप यादव और रामजी यादव थे. खैरा दरगाह के बाप-बेटे शोएब और रज्जाक भी मारे गये. एक कोई अन्य था जिसका नाम अब किसी को याद नहीं था. इस तरह से कुल सात लोग इस झगड़े में मारे गये और तेरह अन्य घायल हुए.
क्रमश: - 2
(मुझे इन गांवों तक ले जाने वाले प्रो डॉ राम जपो सिंह -समस्तीपुर, मैं, श्री राम कल्याण महतो, श्री उमेश राय - मोरों, दरभंगा.)